कौन कह सकता था कि एक साधारण मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मी लड़की एक दिन इतनी प्रसिद्धि प्राप्त करेगी कि देश का गौरव बन जाएगी ?
28 सितंबर 1929 को इंदौर में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मीं हेमा मंगेशकर। बाद में मराठी नाटक से प्रभावित होकर पिता ने नाम रखा-लता मंगेशकर।
पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण जब पिता की आकस्मिक मृत्यु हुई तो परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। परिवार के भरण-पोषण के लिए फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया किन्तु अभिनय में मन नहीं लगा या यूं कहें कि ईश्वर ने तो उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था।
पिता की मृत्यु के बाद उस्ताद अमान अली ख़ां और उस्ताद अमानत खां से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली। 40का दशक जब हिंदी सिनेमा में सुरैया, नूरजहां, शमशाद बेगम, जोहराबाई और कुंदनलाल सहगल जैसे गायक-गायिकाएं मौजूद थे उस समय अपनी पहचान बनाना बहुत मुश्किल रहा। संगीतकारों ने उनकी आवाज को पतली कहकर नकार दिया।पर जब 1948 में महल का गीत 'आएगा आनेवाला' आया तो जैसे धूम मच गई। फिर फिल्मों की लाइन लग गई। बरसात, अंदाज,श्री 420, देवदास,मदर इंडिया, मधुमती,म़ुग़ले आज़म,बैजू बावरा,सीमा, गंगा जमुना ,पाक़िज़ा और न जाने कितनी फिल्में............
मधुबाला से लेकर नरगिस, मीना कुमारी, वैजयंती माला, नूतन,वहीदा रहमान,आशा पारेख,सायरा बानो, साधना......... ऐश्वर्या राय तक हर अभिनेत्री के अनुसार आवाज़ में बदलाव करना भी उनकी अनोखी प्रतिभा है। गिनीज बुक में सर्वाधिक गीत गाने का रिकॉर्ड हो या भारत रत्न सहित तमाम सम्मान , जो उन्हें अद्वितीय बनाते हैं। इसके बाद भी इतना सरल और सहज व्यक्तित्व !!!! मानो कोई पवित्र देवी हों।
लता जी वह शख्सियत हैं जिन्हें सुनकर लोगों ने जाना कि सुर क्या है?
उनकी आवाज शास्त्रीय संगीत और फिल्म संगीत का संगम है। संगीत का हर अंग चाहे सुर, लय,ताल, गति, तान,हरकत,आलाप, सरगम,मींड,गमक सब उनकी गायिकी में है।
गायन के विभिन्न विधाओं, चाहे शास्त्रीय संगीत, उपशास्त्रीय संगीत, लोकसंगीत,नाट्यगीत, ग़ज़ल,नात,, क़व्वाली,,भजन, और न जाने कितनी विधाओं को उन्होंने समृद्ध किया है।
जो राग बड़े बड़े शास्त्रीय गायक घंटों गाने के बाद भी नहीं समझा पाते उसे लता जी तीन मिनट के गाने में इतनी सरलता से कह जाती हैं कि एक साधारण व्यक्ति भी समझ जाता है।
एकल गीतों के साथ ही उनके युगल गीतों का भी कोई सानी नहीं है। अपने समय के दिग्गज गायक मोहम्मद रफी के साथ सबसे ज्यादा युगल गीतों का उनका रिकॉर्ड है। साथ ही मुकेश,, किशोर कुमार, मन्ना डे,तलत महमूद, हेमंत कुमार, के साथ भी सुपरहिट गीत दिए।
बात गायकों के अधिकारों की हो तो वो हमेशा मुख्य रहीं। चाहे रेडियो और दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले गीतों के साथ उनके गायकों के नाम घोषित करने की मांग हो या गानों की राॅयल्टी की मांग हो या गायकों के लिए फिल्मफेयर अवार्ड्स की ।
देशप्रेम की ऐसी मिसाल कि जब भारत-चीन युद्ध के बाद हमारी पराजय हुई तब कवि प्रदीप के लिखे गीत ऐ मेरे वतन के लोगों गाकर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और उनकी विधवाओं के लिए सहायता राशि एकत्रित की। इस गीत को सुनकर पंडित नेहरू और डॉ राधाकृष्णन की आंखों में आंसू भर गए और आज भी जब कोई इस गीत को सुनता है तो अपने आंसू नहीं रोक पाता ।
1983 में क्रिकेट विश्वकप जीतने के बाद जब खिलाड़ियों को देने के लिए पैसे नहीं थे तब बिना किसी फीस के प्रोग्राम किया और हर खिलाड़ी को एक-एक लाख रुपए दिए।
कभी विद्यालय न जाने वाली लता जी को श्रेष्ठतम विश्वविद्यालयों द्वारा छह डाॅक्ट्रेट मिले जो खुद में अद्भुत है।
सही मायने में भारतीय संस्कृति और कला की वाहक लता जी वो सूर्य हैं जिनके किरणों से संगीत जगत दैदीप्यमान है । वो संगीत की अथाह सागर हैं जो कभी समाप्त नहीं हो सकता। युगों-युगों तक उसकी आवाज हर कोने में गूंजती रहेगी और आने वाली पीढ़ियां उनसे प्रेरणा लेती रहेंगी।
एक बार अटल जी पाकिस्तान गये तो वहां किसीने उनसे कहा कि "आज हमारे पास वो सब कुछ है जो आपके पास है,पर दो अनमोल चीजें जो हमारे पास नहीं है वो हैं ताजमहल और लता मंगेशकर।''
वास्तव भारत रत्न और विश्व रत्न सरस्वती स्वरुपा लता जी सदैव अमर रहेंगी।
-"रहें ना रहें हम,महका करेंगे, बन के कली ,बन के शबा ,ब़ाग़े वफ़ा में"
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