यह किताब एक व्यक्ति केशव और उसके इर्द गिर्द घूमती है। इसमें समाज के तमाम पहलुओं और तमाम समस्याओं से जूझते हुए समाजसेवा और कला के प्रति समर्पण को दिखाने का प्रयास किया गया है।
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