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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-01-21

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काव्य - कुंज

काव्य - कुंज

इस पुस्तक में मेरे द्वारा लिखी कुछ कविताएं हैं ।

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काव्य - कुंज

काव्य - कुंज

इस पुस्तक में मेरे द्वारा लिखी कुछ कविताएं हैं ।

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भगत की बांसुरी

भगत की बांसुरी

किताब एक गांव में रहने वाले भगत जी के इर्द गिर्द घूमती है। इसमें उनके जीवन में घटी घटनाओं और उनके बांसुरी के प्रेम को दिखाया गया है।तो कौन हैं ये भगत........ आइए जानते हैं

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भगत की बांसुरी

भगत की बांसुरी

किताब एक गांव में रहने वाले भगत जी के इर्द गिर्द घूमती है। इसमें उनके जीवन में घटी घटनाओं और उनके बांसुरी के प्रेम को दिखाया गया है।तो कौन हैं ये भगत........ आइए जानते हैं

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केशव

केशव

यह किताब एक व्यक्ति केशव और उसके इर्द गिर्द घूमती है। इसमें समाज के तमाम पहलुओं और तमाम समस्याओं से जूझते हुए समाजसेवा और कला के प्रति समर्पण को दिखाने का प्रयास किया गया है।

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केशव

केशव

यह किताब एक व्यक्ति केशव और उसके इर्द गिर्द घूमती है। इसमें समाज के तमाम पहलुओं और तमाम समस्याओं से जूझते हुए समाजसेवा और कला के प्रति समर्पण को दिखाने का प्रयास किया गया है।

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लता मंगेशकर-न भूतो न भविष्यति

7 फरवरी 2022
2
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कौन कह सकता था कि एक साधारण मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मी लड़की एक दिन इतनी प्रसिद्धि प्राप्त करेगी कि देश का गौरव बन जाएगी ? 28 सितंबर 1929 को इंदौर में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मीं हेमा

परिचय

2 फरवरी 2022
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शाम का समय,खेत से लौटते पशुओं की आवाज़ और अस्ताचल को जा रहे सूर्य की लालिमा के बीच इस उदासीन और शांत परिवेश को चीरती हुई एक मोहित करने वाली बांसुरी की आवाज़.....एक छोटे से घर, घर नहीं उसे एक कमरा कह स

बेबसी

23 जनवरी 2022
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मेरा साथी था इक चंदा,मैं उसको पा नहीं पाया,वो नीचे आ नहीं सकता,मैं उस तक जा नहीं पाया।वो ऐसे था, जैसे होकोई बहता हुआ दरिया,ठहरना फ़ितरत नहीं जिसकी,वो ख़ुद रुक नहीं सकता,मैं उसको रोक ना पाया।वो ऐसे था

मातृभूमि

21 जनवरी 2022
3
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हे मात! रख दे हाथ,दे आशीष यह,देता हूं कह,इस रक्त का कण-कण समर्पित,होगा तेरे नाम पर,दे दे कवच -तलवार,न होगी हार,यह आशीष दे ।लेकर चरण-रज धूल तेरा,करता है प्रण यह पुत्र तेरा,नत न होगा भाल मेरा,हर वेदना,

मां

21 जनवरी 2022
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वात्सल्य में डूबता जिसका,मन और गात हैवही तो प्यारी मां हैवही तो प्यारी मां है।जो जीवन की शक्ति है ,मन की अभिव्यक्ति है,जो बच्चों का संबल है,स्वभाव से निर्मल है,जो घर का सम्मान हैवही तो प्यारी मां है।ज

जब उठती है कलम

21 जनवरी 2022
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कलम जब उठती हैशासन हिल जाता है,तानाशाहों का सिंहासन डोल जाता है,राजनीति पलट देती है।कलम जब उठती है।गरीबों की आवाज हो,या आदमी कोई आम हो,बड़े से बड़ा राज हो ,हर राज़ खोल देती है।कलम जब उठती है।विरह में

कौन हो तुम!

18 जनवरी 2022
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कैसे कहूं तुम कौन हो?क्या बताऊं तुम कौन हो?मेरे हृदय की तान तुम,सांसों की हो झंकार तुम,काशी भी तुम,काबा भी तुम,सावन भी तुम, मल्हार तुम,जो तप्त मन को छांव दे,तुम वही पारिजात हो।कैसे कहूं तुम कौन हो?क्य

हे कृष्ण!तुम्हें क्या कहूं?

18 जनवरी 2022
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हे कृष्ण! तुम्हें क्या कहूं?कैसे कहूं, कितना कहूं?रहोगे अव्यक्त फिर भी,चाहें तुम्हें जितना कहूं।ज्ञानियों का ज्ञान कहूं,या मनीषियों का मनन कहूं?प्रेमियों का प्रेम,या ऋषियों का चिंतन कहूं?रहोगे अव्यक्त

बेटी

18 जनवरी 2022
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मां कुंठित है, पिता ने सिर पकड़ लिया।दादी दुखित है,दादा को सोच ने जकड़ लिया।पर क्यों?क्या बेटी को जन्म लेने का हक नहीं?क्या उसकी क़िस्मत में खुशियों की महक नहीं?क्यों भूल जाते हैं हम,चाहें खुशी ह

कसक

18 जनवरी 2022
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चांदनी रात में तारों को कौन पूछेगा?थक गई निगाहें तो नजारों को कौन पूछेगा?चांदनी रात में तारों को कौन पूछेगा?नाम है शाहजहां- मुमताज का,ताजमहल के अंदरहाथ काटे गए मासूमों के,जेल के अंदरउन मासूम कारीगरों

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