कैसा है ये लोकतंत्र ?
जहाँ जनता है, ओछी मानसिकता और भ्रष्ट राजनीति की शिकार !
यहाँ हर दिन नया मुद्दा , मुद्दे पर बहस होती है ,
मरती है तो केवल जनता , राजनीति आराम से सोती है।
त्रस्त हो चुकी है जनता , अवसाद की शिकार,
मासूम जल रहे हैं या जला दिए जा रहे हैं।
इंसानियत को गिरता देखकर भी हम गूंगे , बहरे बन जा रहे हैं ,
सभाओं में मौन धारण कर फिर नए गुनाहों को आमंत्रण दिए जा रहे हैं ।
जनता को गुमराह करने वालों तुम किन मानवाधिकारों की दुहाई देते हो ?
पहले मासूम और गुनाहगारों का फ़र्क तो समझ लीजिए ,
जो शोषण का शिकार ,जला कर ख़ामोश कर दी जाती हैं , वे भारत की ही बेटियाँ हैं ।
सूरत की इमारत में जल गए बच्चे और दिल्ली में जले मजदूर ,
हमारी लचर और भ्रष्ट व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न नहीं तो क्या है ?
देश का कोई भी हिस्सा हो या फिर हो हमारी राजधानी ,
होती है प्रतिदिन अवैध कारनामों व लचर व्यवस्था की शर्मनाक कहानी ।
हैदराबाद के इनकाउंटर पर सवाल उठा रहे हो ,
अपनी ही व्यवस्था के फ़ेल होने पर अब क्यों तिलमिला रहे हैं ?
यह तो था गुनाहों की इंतहा का जवाब और देश की लचर व्यवस्था के मुँह पर तमाचा ?
यह वह गूँज थी , जो समाज में छिपे भेड़ियों की गर्दन दबोचने का दम रखती है।
सत्ताधारियों , मुद्दे बहुत उठा लिए , वोट भी पा लिए ,
भ्रष्ट व्यवस्था की आड़ में घड़ियाली ऑंसू मत बहाइए ,
बस , अब हमें समाधान चाहिए ,
यह लोकतंत्र है , जनता को भी सम्मान चाहिए।
मेरी कलम से
परमजीत कौर
09 . 12 . 19