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क्या कहता है, ये विराम ........?

24 मार्च 2020

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क्या कहता है, ये विराम ........?

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आज पूरा विश्व जब कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है । चिकित्सीय दृष्टि से इसका कोई इलाज़ विकसित राष्ट्रों के पास भी नहीं है । आज विकसित राष्ट्र भी इस बीमारी के सामने घुटने टेक चुके हैं। ऐसे में बहुत ज़रूरी है ,संयम से काम लेना ।

लाचार और विफल हो रही व्यवस्था के सामने इस महामारी को ख़त्म करने का सबसे कारगार उपाय है सामाजिक सक्रियता ख़त्म करना/न के बराबर करना अर्थात संक्रमण के फैलने के साधन ख़त्म करना ।

अन्य देशों की तरह भारत ने भी इस स्थिति से निपटने के लिए सभी राज्य सरकारों को सतर्क करते हुए 31 मार्च तक जनता कर्फ़्यू लगा दिया है ।

आज पूरा विश्व एक तरह से विराम की स्थिति में आ गया है ।

क्या कहता है ये विराम ..?

क्या हम ठहर गए ? हताश, निराश कि आगे आने वाले समय कुछ भी हो सकता है ....!

साकात्मकता से सोचें तो यह विराम अंधी दौड़ से ठहर पुन: चिंतन और मनन के लिए है । संयम से काम लेने का है ।

अमीर, गरीब ,धर्म, संप्रदाय से निकाल आज इस संक्रमण ने पूरे विश्व को एक कर दिया तथा लगा दिया मानव की सोच पर एक बड़ा प्रश्न चिह्न ......?

भारत में यह महामारी पैर न पसार सके इसलिए रविवार को जनता कर्फ़्यू लगाया गया । लोगों का योगदान सराहनीय रहा ।

22 मार्च को सबने अपने घरों से तालियाँ बजा कर उन डाक्टरों एवं रक्षा दलों का आभार तो व्यक्त किया मगर हमारे ये योद्धा सीमित संसाधनों के बीच हमारी रक्षा के लिए जुटे हैं । आज हमें इस स्थिति की गंभीरता को समझ सरकार द्वारा दिए निर्देशों का संजीदगी से पालन करना होगा । स्थिति अभी भी गंभीर है ।

संयम से काम लेते हुए अपने घर में सुरक्षित रह कर ही दूसरों को भी बचा सकते हैं ।

क्या सोचा है, आपने....? ये आपदाएँ कभी श्रेणियों में नहीं बाँटती !

हमें धर्म ,संप्रदाय से ऊपर उठकर अपने देश को मजबूत बनाना होगा ।

ये आपदाएँ तो परीक्षाओं की भांति आती रहेंगी ।

आज अपनी संकुचित सोच का विस्तार करने की आवश्यकता है ।

सोचिए ...हम अभी भी विकासशील देशों की श्रेणी में क्यों आते हैं ?

इस विराम का सही उपयोग होगा, तभी नया अध्याय लिखा जाएगा ।

एक बात कहना चाहूंगी .....

यह विराम निराशा नहीं , सबक है सशक्त निर्माण का .......

परमजीत कौर

24.03.2020

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