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माँ

2 जुलाई 2016

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उसके हाथ का हर व्यंजन जैसे भरा हो स्वाद से ,

और मन में भरा हो असीम प्यार .

फरिश्ता एस जीवन में ,

आया करके माँ नाम का श्रृंगार .

प्यार में जिसके ममता ,

डांट में जिसके दुलार .

माँ तेरे आँचल बिना ,

बेरंग हे यह संसार .

सब्दों में कड़वाहट भले ही ,

पर मन पर चिंता का भार .

माँ तेरे होने से ही बना ,

मेरे जीने का आधार .

लाख यातनाएं सहकर भी ,

चाहे सजी हो होठों पर मुस्कान ,

तेरी चुप्पी में भी कह जाती हे कह जाती हे कईं कहानी, 

ललाट पर तेरे सलवटों की धार. 

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