बिटियां तो जैसे घर को सजाने के लिए होती हैं। ,
और जब विदा होती हैं तो
रुलाने के लिए होती हैं ।
माँ मुझे अच्छे से प्यार कर लेना,
माँ मुझे अच्छे से प्यार कर
लेना,
मेरी आँखों में अपना दुलार
भर देना,
दुनियाँ को सारी
मैं ममता सिखाऊँ,
ऐसा तुम मेरा
श्रंगार कर देना । ....माँ मुझे अच्छे से
मैं घुटनों चलूँगी,
गिर- गिर पड़ूँगी,
गोदी नाचूँगी, खिल खिल हसूँगी
झुलूंगी,
खेलूँगी , सबको
खिलाऊँगी,
आँगन मेँ खुशियों के रंग भर जाऊँगी ।
लाड़ली तुम्हारी
नज़र ना लग जाए ,
काजल का टीका संवार कर
देना ,… माँ मुझे अच्छे से
बनूँ बेटी
माँ के, हृदय में समाऊँ,
पापा का नाम मैं,
रोशन कर जाऊँ,
भाई को जीने का अंदाज़ सिखा
जाऊँ,
दादा -दादी, के हाथों खिलौना बन जाऊँ,
कहते हैं भाई को बहुत
प्यार करते हैं,
तुम मुझे भैया सा दुलार कर
देना ,…… माँ मुझे अच्छे से