मित्रों , बंद किताबों से निकालकर अपने विचार आप तक पहुंचाना चाहता हूँ ,मुझे आपका जितना स्नेह मिलेगा मेरे साहस को उतना ही बल मिलेगा । आपका स्नेहाकांक्षी ।मदन पाण्डेय 'शिखर' ।
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