आँसुओं के भी दाम
लब्ज़ खुद ही बयान होते हैं,
आँसुओं के भी दाम होते हैंI
पंछी, रोको तो दौड़ते बादलों को,
व्योम में कहाँ विराम होते हैं I
चाँद तारों की दोस्ती रात भर,
जुगनुओं के तो नाम होते है I
दुपहरी धूप, जिश्म की जलन,
जैसे वर्षों की थकान होते हैं I
अर्श पर चाँदनी,त्रण पर मोती,
बस पलों
के पैगाम होते हैं I
रुंधे हुए कंठ से निकले हुए गीत,
गुन-गुनाने को जुबां होते हैं I
उम्र भर
तराशे बुतों के अश्क,
उदास चेहरों की पहचान होते हैं I
मुस्कराने के पल आम होते हैं,
आँसुओं के भी दाम होते हैं I