मातृ दिवस ,
क्यू है विवश ,
क्या वृद्धाश्रम मे मां है?
या खत्म संवेदना है।
जिसने तुम्हे स्वीकारा
तुमने उसको ही अस्वीकारा
कैसा उपकार है,
तुम पर तो धिक्कार है,
सोच न ज्यादा ,
अभी हो रहा होगा तेरा फायदा,
पर जल्द तुझे समझ आएगा,
जब पंडित मौलवियों के,
चक्कर लगाएगा।
वे सब बताएगे,
तेरे पितृदोष गिनवाएगे,,
हल न कुछ भी तब होगा,
महंगा पडेगा ,बहुत महंगा,
जो किया है तूने ,
यह स्वार्थ का सौदा।
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संदीप शर्मा। देहरादून से।