मेरी बर्बादियों का जश्न मनाने वालो,के,
मैने देखो कैसे चित्र सजाए है,
जो दीवारो पे दिखे लटके है सब,
खाली फ्रेम उनमे मैने,
देखिए "आइने " लगवाए है,
नाम लू तो कहा अच्छा लगता है,
वो पहचान ले जो खुद को,
ही , तो ,चलो अच्छा है,
ऐसे मे धर्म मेरा भी रह जाएगा।
उसका नाम पता बताया नही,
भरम उसका भी रह जाएगा।
कौन देख कर भी,सब साफ,
कहा चुप रह पाएगा।।
नाम लेगा दूजे का ही ,
खुद साफ बच जाएगा,
अच्छा है न ,
मेरा खर्चा भी तो बच जाएगा,
कितनी तस्वीरे टांगता फिरता,मै,
चार छः फ्रेम मे ही ,
अब सब सिमट जाएगा।
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संदीप शर्मा।
देहरादून से live