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मैक की हिमाचल यात्रा

13 मई 2023

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मानचंद्र को उसके दोस्त संक्षिप्त में अक्सर उसे मैक कहकर बुलाते थे, जो कि शायद कहने और सुनने में उन्हें अच्छा लगता था। मैक आज सुबह थोड़ा जल्दी उठ गया था, क्योंकि आज उसकी बोर्ड परीक्षा का आख़िरी पेपर था, और इसके दूसरे ही दिन पूरा परिवार हिमाचल की सैर पर निकलने वाला था, मैक बहुत उत्साहित था और हो भी क्यूँ ना, समतल धरती की तपन से जो ऊब चुका था, और उसने आज तक सचमुच के पहाड़ भी जो नहीं देखे थे, साथ ही गणित और विज्ञान में गहरी रुचि के साथ भू-विज्ञान से ग़ज़ब का इश्क़ जो था। पिछले दो-तीन दिनों से मैक, हिमाचल की ख़ूबसूरत वादियों के हसीन ख़्वाब देख रहा था। उसने बचपन में अपने दादा-दादी से पहाड़ों की सैकड़ों कहानियाँ सुन रखी थी। 

बोर्ड परीक्षा का आख़िरी पेपर बहुत ही अच्छा हुआ था और मैक उछलता हुआ घर की ओर चला जा रहा था। रास्ते में उसके मोहल्ले के एक अंकल जी मिल गए और मैक भी उनके साथ उनकी फटफटिया पर सवार हो गया, बस फिर क्या था वह चंद मिनटों में वह अपने घर पहुँच गया। पूरा परिवार आज पैकिंग में लगा हुआ था, इधर मैक की दूरबीन कहीं गुम हो गई थी, मैक ने घर का कोना-कोना छान मारा, पर कहीं नहीं मिली, फिर अचानक उसकी दादी आवाज़ देती हैं कि मैक ये रही तुम्हारी दूरबीन, अलमारी के पीछे छुपे बैठी थी, ये देखो! मैक अब बहुत खुश था, उसने अपना सारा ज़रूरी सामान एक अलग बैग में पैक कर, घर के सारे लोगों के साथ बैठकर खाना खाते हुए यात्रा से जुड़ी हुई ढेर सारी बातें करने के बाद अपने कमरे में सोने चला गया। 

आज मैक अपने बेड पर इधर से उधर करवटें बदल रहा था और नींद थी जो आने का नाम ही नहीं ले रही थी। ख़ैर! किसी तरह रात गुजरी और सुबह-सुबह पंछियों का कलरव सुनाई देने लगा। सारी तैयारियाँ पूरी करके, मैक अब अपने दादा-दादी और मम्मी-पापा के साथ एक टैक्सी पर सवार था, जो कि रेलवे स्टेशन की ओर सरपट दौड़े जा रही थी, मैक के पापा ड्राइवर से बार-बार कह रहे थे कि भइया थोड़ा स्पीड बढ़ा लो कहीं ट्रेन छूट ना जाए। ट्रेन अपने निर्धारित समय से पाँच मिनट पहले ही  अपने प्लेटफ़ॉर्म पर आ चुकी थी। टैक्सी से जल्दी-जल्दी उतर कर, सभी लोग प्लेटफ़ॉर्म की ओर भागे जा रहे थे, इसी बीच दादा जी एक खम्बे से टकरा कर गिर गए, ख़ैर कुछ ख़ास चोट नहीं आई, ट्रेन में बैठते ही मैक ने अपने फ़र्स्ट-एड-बॉक्स से वोलिनी निकाला और दादा जी घुटनों पे लगाने लगा, दादा जी अब राहत महसूस कर रहे थे और मन ही मन मैक को ढेर सारा आशीर्वाद दे रहे थे। पूरी रात की यात्रा के बाद ट्रेन अब हिमाचल के शहर ऊना पहुँचने वाली थी, सभी लोग उठ कर अपना-अपना सामान समेटने लगे थे, ट्रेन के रुकते ही सभी लोग उतर कर, अपने मित्र का इंतज़ार करने लगे, जो कि उनको रिसीव करने आने वाले थे, वह अभी तक नहीं आए थे, गलती उनकी भी नहीं थी क्यों कि ट्रेन समय से थोड़ा पहले आ गई थी। थोड़ी ही देर बाद उनके मित्र अपनी कार से स्टेशन आ पहुँचे, मैक ने लपक कर उनके पैर छुए और मैक के पापा गले से लिपटकर पीठ थपथपाते रहे, आज छह साल बाद जो मिल रहे थे। 

... शेष आगे 

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