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कमाल का यूं चले जाना इस मरती हुई पत्रकारिता का थोड़ा और मर जाना है

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भारतीय पत्रकारिता के बुझते हुए पुंज में बचे कुछ अंतिम उजालों में से एक थे "कमाल ख़ान" कमाल की सादगी, कमाल की तहज़ीब, कमाल की लखनवी ज़बान और कमाल का अंदाज़... सच में कमाल कमाल के ही थे। पत्रकारिता से लुप्तप्राय रिपोर्टिंग के लिए कमाल ख़ान जैसे पत्रकार वेंट

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कमाल का यूं चले जाना इस मरती हुई पत्रकारिता का थोड़ा और मर जाना है

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