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मालूम नहीं

2 दिसम्बर 2021

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तुम हो तो मैं हूं।
मैं हूं तो तुम हो।।
मालूम नहीं।।।
तुम्हारी पेशानी पर बल।
मेरी बेचैनी बढ़ा देता है।।
मेरे आंसू से भीगा हुआ पल्लू।
गमों की आपाधापी, तुमको तनिक छूती है।।
मालूम नहीं।।।
तुम्हारी खुशी, ताजा हवा के झोंके जैसा
तन मन प्रफुल्लित कर देता है हमसफ़र।।
मेरे होंठों की मुस्कान कभी तुम रहें।।
यह मालूम नहीं।।।
लम्हा लम्हा कतरा कतरा
तुम ही थे मेरे मन मयूर।।
ख़ामोश निगाहों ने कभी तुम्हें छूआ सनम।
यह मुझे मालूम नहीं।।
मालूम नहीं।।
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रचनाएँ
मन दर्पण
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मन मयूर प्रफुल्लित हो जब नृत्य करने लगता है।सच पूछो तो तन मन प्यार पा गा उठता है। प्रेम जीवन में बहार लाता है और खुशियों की सौगात लाता है। जहां प्रेम नहीं है वहां जीवन नीरसता से भरा हुआ होता है। प्रेम बंजर जमीन में भी फसलें उगा सकता है।।
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मुहब्बत

2 दिसम्बर 2021
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<div>मुझे वो शख्स चाहिए,जो सिर्फ मेरा हों।</div><div>मेरा रहबर मेरा और सिर्फ मेरा हों।।</div><div>वो

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मालूम नहीं

2 दिसम्बर 2021
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<div>तुम हो तो मैं हूं।</div><div>मैं हूं तो तुम हो।।</div><div>मालूम नहीं।।।</div><div>तुम्हारी पेश

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मेरी मुहब्बत

2 दिसम्बर 2021
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<div>वैदेही आज कालेज जाना है ना बेटा।।</div><div>जी मां,बस तैयार हो कर आती हूं।।</div><div><br></div

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कूड़ा वाली

3 दिसम्बर 2021
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<div>साईं राम साईं श्याम साई भगवान।</div><div>साईं राम साईं श्याम साई भगवान।।</div><div>कालवेल घनघना

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दो घूंट

3 दिसम्बर 2021
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<div>मेरी चाहत का तुमने क्या हाल कर दिया।</div><div>रुसवाईयों को मेरे नाम कर दिया।।</div><div>मैंने

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सब्र

3 दिसम्बर 2021
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<div>तुम्हारी मुहब्बत ने मेरे सब्र का</div><div> इम्तिहान क्या लिया।।</div><div>समाज ने हाथों म

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नजारा

3 दिसम्बर 2021
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<div>मुहब्बत का वह नजारा नहीं भूलता।</div><div>हैं अब वही सहारा नहीं भूलता।।</div><div>खाईं थी हमने

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समाप्त

9 जनवरी 2022
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