तुम हो तो मैं हूं।
मैं हूं तो तुम हो।।
मालूम नहीं।।।
तुम्हारी पेशानी पर बल।
मेरी बेचैनी बढ़ा देता है।।
मेरे आंसू से भीगा हुआ पल्लू।
गमों की आपाधापी, तुमको तनिक छूती है।।
मालूम नहीं।।।
तुम्हारी खुशी, ताजा हवा के झोंके जैसा
तन मन प्रफुल्लित कर देता है हमसफ़र।।
मेरे होंठों की मुस्कान कभी तुम रहें।।
यह मालूम नहीं।।।
लम्हा लम्हा कतरा कतरा
तुम ही थे मेरे मन मयूर।।
ख़ामोश निगाहों ने कभी तुम्हें छूआ सनम।
यह मुझे मालूम नहीं।।
मालूम नहीं।।