वैदेही आज कालेज जाना है ना बेटा।।
जी मां,बस तैयार हो कर आती हूं।।
वैदेही तैयार हो कर जल्दी जल्दी आयी और मां को आवाज दी।।।
मां ्््मां््््मां।।।।
कहां हो।।।।
जल्दी से नाश्ता दे दो।।।
ये लो,आलू के परांठे है।अपना सब डाक्यूमेंट रख लो।फीस और फोटो यह लो। सुनो, आराम से जाना।अपना सब काम कर सीधे घर आना।।।
जी मां। पहले निकलूं तब तो आऊंगी।।।
नाश्ता कर वैदेही सब चीजें रख निकल गई और मां को आवाज देती गई।।
मां मैं जा रही हूं, दरवाजा बंद कर लो।।।
वैदेही कालेज पहुंच अपना सब काम करा साथ की लड़कियों से बात करने लगी और बातों बातों में कैंटीन पहुंच गई। वहां सारी लड़कियां समोसा चाय के साथ गपबाजी भी करने लगीं। तभी सेकेंड ईयर के कुछ छात्र उधर आये और एक टेबल खींच इत्मिनान से बैठ गए। भरपूर नज़र लड़कियों की तरफ डाली और आपस में बातें करने लगे।।।
एक लड़का बोला।।।
ओह हो, यह फ्रेशर्स है।।।
दूसरा बोला।।।।
यस डियर, यह सब न्यूली एडमिशन है।।।
उनमें से एक लड़का जो चुपचाप बैठा वैदेही को देख रहा था। वैदेही ने इस बात को मार्क कर चलने को कहा।।
उसके साथ की एक लड़की जो यह देख रही थी उसने कहा कि यह सेकेंड ईयर के भैय्या विशाल है। यह बहुत ही अच्छे हैं और आगे बढ़ कर मदद करते हैं।। उधर विशाल को पहली नजर का प्यार हो गया था।वह वैदेही को एकटक देखे जा रहा था।।।
वैदेही उठी और आटो से घर आ गई। मां को उसने सब बताया लेकिन विशाल के बारे में नहीं बताया।उसे भी बार बार विशाल का चेहरा दिख रहा था।।
धीरे धीरे उसका कालेज शुरू हो गया और वह रेगुलर आने जाने लगी। पढ़ाई में अव्वल होने के कारण उसकी बहुत बच्चों से दोस्ती हो गई थी।वह जब भी क्लास के बाद बाहर बैठती या कैंटीन जाती। एक नजर लगातार उसका पीछा करती और वह नजरांदाज करके भी नहीं कर पाती।चुम्बक की तरह विशाल का व्यक्तित्व उसे खिंचता। वैदेही जितनी खूबसूरत है विशाल हैंडसम और खुबसूरत व्यक्तित्व का मालिक। बहुत लड़कियां उस पर मरती है लेकिन वह तो पहली नजर में वैदेही पर मर-मिटा था।।।
आज एक वर्ष बीत गए और वैदेही ने फर्स्ट ईयर में टाप किया है और उधर विशाल ने बीएससी सेकेंड ईयर में। दोनों दूर दूर से एक दूसरे को देखते हैं लेकिन बात करने की हिम्मत नहीं कर पाते। ऐसे ही समय खिसकता गया और विशाल बीएससी आखिरी वर्ष में है और वैदेही सेकेंड ईयर में। एक दिन वह आटो का इंतजार कर रही है कि तभी एक बाइक आ कर रुकी। हेलमेट उतारते ही वैदेही की सांस ऊपर नीचे होने लगी।वह पसीने से भीग गई उधर उसकी यह हालत देख विशाल हंस पड़ा। वैदेही शरमा कर लाल पड़ गई। विशाल हंसते हुए बोला।।।
अरे मैडम, मैं कोई भूत प्रेत नहीं हूं। मैं विशाल आपके कालेज में बीएससी आखिरी वर्ष का छात्र हूं और बस इतना जानता हूं कि आप बीएससी सेकेंड ईयर में है।। देखिए,बस इतना कहना चाहता हूं कि मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं लेकिन कहने की हिम्मत आज जुटा पाया हूं। चूंकि मेरा आखिरी वर्ष है और मैं बाहर चला जाऊंगा आगे की पढ़ाई व कैरियर हेतु। आपका नाम जान सकता हूं।।।
जी, मैं वैदेही।।
ओह,स्वीट नेम। हां तो वैदेही, मैं आपके कैरियर में हस्तक्षेप नहीं करूंगा और अपना मुकाम भी हासिल करके ही तुमसे मिलूंगा। तुमसे अपने प्यार पर मुहर चाहता हूं जबकि मुझे मालूम है कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो। मैं यह भी नहीं कहूंगा कि चलो, कहीं बैठते हैं या चाय काफी पीते हैं। आज मैं तुम्हारे घर आऊंगा इसलिए यहां रुका। प्लीज़ मेरे साथ चलो,बस तुम्हारा घर देखना है।।
वैदेही धीरे से बाइक पर बैठ गई और विशाल को घर तक ले आई लेकिन पूरे रास्ते कुछ बोल नहीं पाईं।।
विशाल उसे उतार चला गया और वैदेही सिमटी हुई घर पहुंची।।।
शाम को विशाल अपने माता-पिता के साथ वैदेही के घर आया। वैदेही ने घर में कुछ नहीं बताया था। उसकी मम्मी उससे पूछने लगी तो उसने अटकते हुए आज की बात बताई।तब उसकी मम्मी बोली।।
वैदेही, तुमने इस बात को बताना उचित नहीं समझा।बता दिया होता तो मैं तो तैयारी कर लेती। खैर चलो।देर आए दुरुस्त आए।।
इस समय पूरा परिवार इकट्ठा हो चुका था और विशाल का भी पूरा परिवार। दोनों परिवार एक दूसरे को पसंद कर चुके हैं और विशाल ने सबके सामने पूरी बात रखी।।
सब उसकी बात से सहमत हैं बस एक छोटा फंक्शन रिंग सेरेमनी का कर उनके कैरियर में आगे बढ़ने और मंजिल तक पहुंचने पर शादी का फैसला लिया।।
विशाल उन सबकी इजाजत से वैदेही से दो मिनट बात करने अलग चला गया।।
वैदेही उसे लेकर छत पर गई। जहां विशाल घुटने के बल बैठ अपने प्यार का इजहार किया और वैदेही का हाथ पकड़ कर जमाने भर की मुहब्बत समेट बोला।।
वैदेही, मेरी शरीके हयात बनने के लिए तैयार हो। तुम मेरी जिंदगी और प्यार मुहब्बत हो। मैंने अपने जीवन में सिर्फ तुम्हें चाहा है और मेरी संगिनी भी तुम ही बनोगी।।
वैदेही शरमा कर दुपट्टे से चेहरा ढक ली। धीरे से विशाल ने दुपट्टा हटा उसे गले से लगा लिया। तुम्हारी यही अदा तो मुझे दिवाना बना गई मैडम। सुनो,मेरा हर कदम पर साथ देना और मेरी मुहब्बत, मेरा इंतजार करना।।
वैदेही ने उसकी आंखों में देखते हुए आंखों से ही हां कर दिया। विशाल उसकी आंखों में ढेर सारी मुहब्बत देख निश्चिंत हो उठा। आखिर उसे उसकी मुहब्बत मिल गई थी और आगे बढ़ने की मंजिल भी।।