तुम्हारी मुहब्बत ने मेरे सब्र का
इम्तिहान क्या लिया।।
समाज ने हाथों में
मेरे लिए पत्थर उठा लिया।।
मैं घायल तड़पती रही और
तुमने मेरा हाल तक ना लिया।।
कभी जिंदगी थी तुम्हारी सनम
ऐसा क्या हुआ कि जीते जी तुमने कत्ल किया।।
तुम किसी और के लिए अब जीते हों।
मेरी धडकनों में आज भी तुम ही तुम हो।।