मेरी चाहत का तुमने क्या हाल कर दिया।
रुसवाईयों को मेरे नाम कर दिया।।
मैंने तुम्हें अपना सब कुछ दे दिया।
तुमने दो घूंट उसके साथ भी पी लिया।।
मैं तो आईना थी जो सबके लिए जीती थी।
तुमने मुझसे मेरा दर्पण छीन लिया।।
प्यार मुहब्बत बन हर पल तुम स्पंदित थे।
मेरे हृदय का स्पंदन तुमने छीन लिया।।
आज अंधेरा पहचान है मेरा।
तुमने सुख का सूरज मुझसे छीन लिया।।