साईं राम साईं श्याम साई भगवान।
साईं राम साईं श्याम साई भगवान।।
कालवेल घनघना रही है और मैं वाशरूम में हूं। जल्दी से नहा कर कपड़े पहन बाहर आई।गेट तक पहुंचने तक कालबेल कई बार बज चुकी है। मैंने आवाज़ दी।।।
कौन है भाई। बहुत जल्दी में हैं। अभी सुबह के नौ बजे हैं। काम वाली बाई काम करके जा चुकीं हैं। दूध वाला भी दूध दे गया है। बच्चे सब बाहर हैं। पतिदेव कुछ काम से निकले हैं।जब तक वह थे कोई नहीं आया। मैं बड़बड़ाते हुए गेट पर पहुंची तो देखती हूं कि कूड़ा वाली खड़ी है। मुझे देखते ही वह बोल उठी।।।
भाभी राम राम 🙏
राम राम 🙏 मैंने भी कहा और पूछ बैठी।।
आप ग्यारह बजे आती है, आज जल्दी।।।।
हां भाभी, कुछ काम था इसलिए जल्दी आ गई। कूड़ा दे दो।।।
अरे, हां,लाई और अंदर आ कर मैं कूड़ा पालिथिन में भर कर उसे दे दिया। मैं जैसे ही अंदर की तरफ मुड़ी वह आगे आ कर बोली।।।
भाभी आपसे एक बात करनी है।।।
हां बताइए क्या बात है।।।।
भाभी आपके बगल में जो घर बन रहा है उनको आप जानती है।
जानते तो नहीं है लेकिन काम क्या है।।
भाभी उनके यहां लकड़ी का काम हो रहा है और हमको लकड़ी की छिलन लेना था। भाभी खाना बनाने में सहूलियत हो जायेगी इसलिए कोई और ना ले जाएं,हम जल्दी आ गये।।
चलो, चल कर बात करते हैं शायद तुम्हारा काम बन जाए।।।।
मैं अंदर आ दुपट्टा ली और उसे लेकर बगल में गई। मजदूर काम कर रहे हैं। मैंने एक मजदूर से पूछा।।
भैय्या, यहां कोई है।।।
नहीं बहन जी,हम लोग काम कर रहे हैं और मिस्त्री है। आप को काम क्या है।।।
क्या लकड़ी का काम हो रहा है। इनको लकड़ी का छिलन लेना है। गरीब आदमी है।इनका भला हो जाएगा।वह मजदूर मिस्त्री से बात करने गया और आ कर बोला।।।
आप इन्तजार कर लिजिए। मिस्त्री मालिक से पूछ कर बता रहे हैं।
ठीक है भैय्या।हम यहां खड़े हैं आप पूछ लिजिए।ना हो तो यह बता दिजिए कि बगल वाली भाभी पूछ रहीं हैं।।
खैर, मिस्त्री आ कर बोले कि उठा ले जाओ।।।
मैं उनका धन्यवाद कर आने के लिए मुड़ी तो वह कूड़ा वाली हाथ जोड़कर खड़ी हो गई और याचना भरी नजरों से देखते हुए बोली।।
भाभी,कल पूछे थे तो हमको यह मना कर दिए थे इसलिए हम तुम्हारे पास आएं। तुम्हारी वजह से हमारा काम बन गया।।।
चलो,जा कर उठा लो आप।ले जाने के लिए कुछ लाई हो।।।।
हां भाभी,बोरा लाई हूं।जा कर भर लूं। तुमने बहुत दया कर दिया हम पर।।
मैं उसकी तरफ देखती हुई बोली।।।
आपका काम हो गया। हमें उससे खुशी है। आप जा कर ले लो और कोई जरूरत हो तो बताना।।।
अरे नहीं भाभी और वह हाथ जोड़ दी।।।
उसको भेज मैं गेट बंद कर अंदर आई और उसकी आंखों में अपने लिए प्यार व स्नेहिल भाव देख द्रवित हो उठीं। सोचने लगी कि आप किसी के लिए कितना कर दो लेकिन जो पेट तक भरा हुआ है उसे आपका करना नहीं दिखता और यह गरीब लोग छोटी छोटी बातों से कितना खुश हो जाते हैं। सही ही कहा गया है कि जिसके पास अथाह है उसकी मदद ना कर के जिसे वाकई आवश्यकता है उसकी मदद करो तो वह आपका आजीवन अहसान मानेगा तथा जरुरत भी उसकी पूरी हो जाएगी।।
मेरी नजरों से उस औरत का चेहरा और हाथ जोड़े कृतज्ञता प्रकट करने का अंदाज हट ही नहीं रहा था। मैं शून्य में बहुत देर तक यूं ही बैठी रही।जब चैतन्य हुईं तो अपनी धारणा को बदल दिया। आज से जरुरत मंदो की आगे बढ़ कर मदद करुंगी और नेक काम कर अपने लिए थोड़ी सी हंसी इकट्ठा करुंगी।।