दूर क्षितिज पर उड़ते बादल,
धूमिल, श्यामिल वर्णित बादल,
एक छोर से उठते रहते,
दूर छोर तक जाते बादल,
कभी सुनहरे, कभी काले,
रंग बदलते चलते बादल,
मन भी है आकाश की तरह,
बादल भाव जो आते-जाते,
कभी सुनहरी खुशियाँ लाते,
कभी काला गम दे जाते,
मन के एक छोर से उठते,
दूर छोर पर विलीन हो जाते,
कभी संयम की बारिश करते,
कभी क्रोध की बिजली दे जाते,
दूर क्षितिज पर उड़ते बादल,
धूमिल, श्यामिल वर्णित बादल ॥