मेरी हिंदी
घर से निकलते ही एक अजीब सी जल्दीबाजी थी, पहुचने का न जाने क्यों आज वही घर मुझे रोक नही रहा जहा सालो साल गुजारे थे हमने एक पारिवारिक माहौल में जहाँ माँ थी पापा थे दो छोटे भाई बहन थे। मगर न जाने क्यों आज इनसे दूर जाने का मुझे कोई गम नही था, जी हां नही था। जानते हो क्यों क्योकि मैं जा रहा था एक अलग दु