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मतलबी दुनिया - नारी विशेष (लघु कहानी) भाग- 4

4 अगस्त 2022

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साथ ही कम उम्र में बच्चे की मां बनने से ब्लड का रिसाव हो गया है।
और फिर चारों तरफ से रोने-बिलखने का मातम सा छा गया।

काली बादल छठ चुके थे ।बरसात भी बंद हो चुकी थी। शायद बरसात को भी बुलबुल की जिंदगी रास नहीं आ रही थी।
घर से चलने पर बुलबुल के मन में कितने सपने कितने अरमान थे।
शायद किसी बुलबुल  के जीवन में फिर से ऐसा ही अंधेरा छाने वाला था।

कुछ दिनों बाद मंगू विस्ता उठाकर स्कूल की तरफ जाता। हुआ दिखाई दे रहा था। गलती का एहसास उसके माथे पर साफ नजर आ रहा था।

प्रिय, पाठको बुलबुल के जीवन में आए सैलाब मैं गलती किसकी थी। 
कृपया कमेंट करके जरूर बताएं।

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रचनाएँ
मतलबी दुनिया- नारी विशेष
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इस कहानी और पात्र में किसी नारी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है ।अपितु उनके ऊपर हो रहे।अमानवीय व्यवहार (बाल विवाह ,दहेज प्रथा, लड़का- लड़की में अंतर आदि) का विरोध बे स्वयं नारी को सही निर्णय लेने का अधिकार इसके लिए स्वयं को आगे आना होगा। " कामयाबी की बुलंदियों पर हम यूं ही बढ़ते जायेगे। " कभी मदर टरेसा तो कभी झांसी का रूप दिखायेगे। साथ ही पुरुषों की सोच बदलना जरूरी है। क्योंकि सोच कर सोचो वहीं नारी मां 'बहन ,बेटी के रूप में समाज परिवार मैं पुरुषों के बराबर भागीदारी निभा रही है ।अगर नारी नहीं रहेगी तो पुरुषों का अस्तित्व ही गायब हो जाएगा। पाठ विशेष- भारत में आंकड़ों(W.H.O) के आधार पर हर 5 मिनट में से एक मां की मृत्यु हो जाती है। सोच बदली, दुनिया बदली, हालात सुधरे, नहीं सुधरी तो केवल एक गांव की स्थिति- आइऐ ?कहानी के आधार पर पड़ते हैं।
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4 अगस्त 2022
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मतलबी दुनिया - नारी विशेष (लघु कहानी) भाग- 5

4 अगस्त 2022
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1. बुलबुल के पिता की= जिन्होंने कम उम्र में अपनी बेटी की शादी कर दी। अपनी बेटी को पढ़ाना उचित नहीं समझा।2. मंगू के पिता की= मंगू को पढ़ाना उचित नहीं समझा।3. बुलबुल के पति की= जिन्होंने स्वयं पढ़ना तथा

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