बरसात का मौसम था। छोटी- छोटी फुहारे आसमान से जमीन पर गिर रही थी।
अकाशीय बिजली चमक रही थी। करीब-करीब शाम के 8:00 बज चुके थे। श्याम खाना- खाकर सोने वाला था। पड़ोस के घर से आवाज आई चारपाई पर लेटा कर ले चलो।
श्याम सोच रहा था ।आखिर हुआ क्या चल कर देखता हूं।
टॉर्च बे छाता लेकर निकल पड़ा।
चार पांच व्यक्ति पहले से ही वहां पर मौजूद थे। उन्होंने बताया कि कल्लू काका की बहू, मंगू की बीवी पेट से( प्रेग्नेंट) है।
मंगू की शादी पास के दूसरे गांव हरिया की लड़की बुलबुल से हुई थी।
वह पढ़ने में बहुत ही होनहार थी। गरीबी के चलते तथा गांव की गलत अवधारणाओं के कारण 14 वर्ष की उम्र में ही शादी कर दी गई थी।
मंगू भी स्कूल जाता था। अभी शादी को 1 वर्ष हुए थे। कि वह अव मां बनने वाली थी।
प्रिय ,पाठको- मैं यहां पर यह बताना चाहता हूं। कि गांव से सड़क तक पहुंचने के लिए कच्ची, पगडंडी रास्ता जो सड़क तक पहुंचने में 3 किलोमीटर दूर पड़ता था।
वहां पैदल पहुंचने में 45 मिनट का समय लगता था।
श्याम के गांव से होकर दूसरे गांव कि जमीन से होकर गुजरना पड़ता था।
उन लोगों की जमीन में होकर गुजरने पर मरने- मारने पर उतारू होते थे।
बे नहीं चाहती थे। कि हमारे जमीन में से होकर रास्ता निकले क्योंकि। कुछ हिस्सा जमीन का रोड निकलने से बर्बाद हो जाऐगा।
विधायक द्वारा विधायक कोष से भी सहायता राशि प्रदान करने की बात कही ।लेकिन पड़ोस गांव वालों ने कोर्ट द्वारा स्टे लगवा दी गई।
गांव वालों