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मतलबी दुनिया- नारी विशेष (लघु- कहानी) भाग-1

4 अगस्त 2022

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बरसात का मौसम था। छोटी- छोटी फुहारे  आसमान से जमीन पर गिर रही थी।
अकाशीय बिजली चमक रही थी। करीब-करीब शाम के 8:00 बज चुके थे। श्याम खाना- खाकर सोने वाला था। पड़ोस के घर से आवाज आई चारपाई पर लेटा कर ले चलो।

श्याम सोच रहा था ।आखिर हुआ क्या चल कर देखता हूं।
टॉर्च बे छाता लेकर निकल पड़ा।
चार पांच व्यक्ति पहले से ही वहां पर मौजूद थे। उन्होंने बताया कि कल्लू काका की बहू, मंगू की बीवी पेट से( प्रेग्नेंट) है।
मंगू की शादी पास के दूसरे गांव हरिया की लड़की बुलबुल से हुई थी।
वह पढ़ने में बहुत ही होनहार थी। गरीबी के चलते तथा गांव की गलत अवधारणाओं के कारण 14 वर्ष की उम्र में ही शादी कर दी गई थी।
मंगू भी स्कूल जाता था। अभी शादी को 1 वर्ष हुए थे। कि वह अव मां बनने वाली थी।

प्रिय ,पाठको- मैं यहां पर यह बताना चाहता हूं। कि गांव से सड़क तक पहुंचने के लिए कच्ची, पगडंडी रास्ता जो सड़क तक पहुंचने में 3 किलोमीटर दूर पड़ता था।
वहां पैदल पहुंचने में 45 मिनट का समय लगता था।
श्याम के गांव से होकर दूसरे गांव कि जमीन से होकर गुजरना पड़ता था।
उन लोगों की जमीन में होकर गुजरने पर मरने- मारने पर उतारू होते थे।
बे नहीं चाहती थे। कि हमारे जमीन में से होकर रास्ता निकले क्योंकि। कुछ हिस्सा जमीन का रोड निकलने से बर्बाद हो जाऐगा।
विधायक द्वारा विधायक कोष से भी सहायता राशि प्रदान करने की बात कही ।लेकिन पड़ोस गांव वालों ने कोर्ट द्वारा स्टे लगवा दी गई।

गांव वालों

Niharika

Niharika

Very nice👏

18 अगस्त 2022

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रचनाएँ
मतलबी दुनिया- नारी विशेष
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इस कहानी और पात्र में किसी नारी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है ।अपितु उनके ऊपर हो रहे।अमानवीय व्यवहार (बाल विवाह ,दहेज प्रथा, लड़का- लड़की में अंतर आदि) का विरोध बे स्वयं नारी को सही निर्णय लेने का अधिकार इसके लिए स्वयं को आगे आना होगा। " कामयाबी की बुलंदियों पर हम यूं ही बढ़ते जायेगे। " कभी मदर टरेसा तो कभी झांसी का रूप दिखायेगे। साथ ही पुरुषों की सोच बदलना जरूरी है। क्योंकि सोच कर सोचो वहीं नारी मां 'बहन ,बेटी के रूप में समाज परिवार मैं पुरुषों के बराबर भागीदारी निभा रही है ।अगर नारी नहीं रहेगी तो पुरुषों का अस्तित्व ही गायब हो जाएगा। पाठ विशेष- भारत में आंकड़ों(W.H.O) के आधार पर हर 5 मिनट में से एक मां की मृत्यु हो जाती है। सोच बदली, दुनिया बदली, हालात सुधरे, नहीं सुधरी तो केवल एक गांव की स्थिति- आइऐ ?कहानी के आधार पर पड़ते हैं।
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मतलबी दुनिया- नारी विशेष (लघु- कहानी) भाग-1

4 अगस्त 2022
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बरसात का मौसम था। छोटी- छोटी फुहारे आसमान से जमीन पर गिर रही थी। अकाशीय बिजली चमक रही थी। करीब-करीब शाम के 8:00 बज चुके थे। श्याम खाना- खाकर सोने वाला था। पड़ोस के घर से आवाज आई चारपाई पर लेटा

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मतलबी दुनिया- नारी विशेष( लघु -कहानी) भाग -2

4 अगस्त 2022
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ने शासन-प्रशासन अखबार न्यू से भी गुहार लगाई राजनेताओं तक भी बात पहुंचाई लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला।अब आगे बताना चाहते हैं। कि गर्भवती( बुलबुल) को चारपाई पर चार कंधों पर रखकर है। ऊपर त्रिपाल( एक

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मतलबी दुनिया - नारी विशेष (लघु कहानी) भाग -3

4 अगस्त 2022
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ड्राइवर द्वारा गाड़ी सरपट रोड पर चल रही थी। तकरीबन 1 घंटे बाद गाड़ी हॉस्पिटल पहुंच चुकी थी।प्रसूति कक्ष में भर्ती कराया गया अब तक 10:45 शाम का टाइम हो चुका था।गांव से हॉस्पिटल पहुंचने में 2 घंटे 45 मि

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मतलबी दुनिया - नारी विशेष (लघु कहानी) भाग- 4

4 अगस्त 2022
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साथ ही कम उम्र में बच्चे की मां बनने से ब्लड का रिसाव हो गया है।और फिर चारों तरफ से रोने-बिलखने का मातम सा छा गया।काली बादल छठ चुके थे ।बरसात भी बंद हो चुकी थी। शायद बरसात को भी बुलबुल की जिंदगी रास न

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मतलबी दुनिया - नारी विशेष (लघु कहानी) भाग- 5

4 अगस्त 2022
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1. बुलबुल के पिता की= जिन्होंने कम उम्र में अपनी बेटी की शादी कर दी। अपनी बेटी को पढ़ाना उचित नहीं समझा।2. मंगू के पिता की= मंगू को पढ़ाना उचित नहीं समझा।3. बुलबुल के पति की= जिन्होंने स्वयं पढ़ना तथा

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