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मेदार क पर्यावरणपर्यावरण पर्यावरण अर्सलन के लिए ज़िम्मेदार कौन

26 अगस्त 2018

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हमारे देश में बढ़ता पर्यावरण आसनसोल वास्तव में ग्रामीण और नगर वासियों की एक दूसरे की परवाह न कर के प्राकृतिक दोहन जिम्मेदार है एक तरफ शहरों में मशीनीकरण के नाम पर ढूंगा और तापमान लगातार बढ़ रहा है जबकि अनियंत्रित औद्योगिकीकरण पर्यावरण असंतुलन को पैदा करता है लेकिन शहरों के उद्योगपति सोचते हैं कि उन्हें क्य उन्हें तू पूरी तरह से पैसा बनाना है और अपने फैलाई गई प्रदूषण से बचने के लिए हुआ है हवा पानी आदि को फिल्टर कर लेते हैं फूल की सोच होती है कि अगर पर्यावरण संतुलन होता भी है तो वह तो सुरक्षित है यह सत्य नहीं है दूसरी तरफ ग्रामीण समाज गरीब है और उन्हें अपनी आवश्यक आवश्यकताएं के लिए शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है किंतु औद्योगिकीकरण ना करके किसी में ही अपने प्रयोग करते हैं वह लगातार खाद का प्रयोग कर रहे हैं जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है कीटनाशकों और विभिन्न रसायनों के प्रयोग से फल और सब्जियां दूषित हो रहे हैं यहां पर यह ग्रामीण व्यक्ति भी सोचता है कि मुझे क्या मुझे तो साफ सुथरा खाना ही मिलेगा खाना तो शहर वालों को है इस तरह हम देखते हैं कि दूसरों की ना परवाह करने वाले खुद अपने लिए गड्ढा खोद रहे हैं क्योंकि औद्योगीकरण से हेलो वाला प्रदूषण भले ही सीधे रूप से लेकिन इसी तरह की सोच से उन्हें गायों से दूषित भोजन प्राप्त होता है फल स्वरुप बढ़ते तापमान और वायु प्रदूषण से ग्रामीण और गरीब जन को समस्या पैदा होती है लेकिन शहरी लोग अपने को होशियार मानकर इसकी परवाह नहीं करते हैं और लगातार पैसा कमाने को ही तरजीह देते हैं लेकिन यह यहीं गरीब और अनपढ़ लोग जब भोजन में मिलावट करते हैं तू यह अमीर लोगों की सेहत के लिए हानिकारक है सीधा सा मतलब है कि अगर अमीर आदमी गरीब आदमी के बारे में नहीं सोच रहा है उसकी तकलीफों को नहीं समझ रहा है तो निश्चित रूप से किसी ना किसी रूप में गरीब आदमी भी उन को हानि पहुंचा सकता है

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26 अगस्त 2018
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