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सावन के महीने का महत्व

25 अगस्त 2018

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सावन का नाम ध्यान में आते ही बरसात के 80 महीने की छवि उभरती है जिसमें बरसात की छोटी-छोटी बूंदें रिमझिम करती हुई साकार होती है सावन मानसून के मई मौसम का दूसरा महीना है इसलिए इस महीने में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है इसलिए इस पूरे महीने में त्यौहार मनाए जाते हैं सनातन धर्म में भगवान शिव की पूजा के लिए सावन का विशेष महत्व है इस महीने में सोमवार के दिन शिव भक्त गंगा जी से लाए हुए जल को चढ़ा कर शिवजी को प्रसन्न करते हैं इसलिए यह महीना शिव भक्तों के लिए अति महत्वपूर्ण है इसी महीने में हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार रक्षाबंधन भी आता है जो सावन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है रक्षाबंधन में बहने अपने भाई की कलाई से रक्षा सूत्र बांधकर उनके लंबे जीवन की कामना करते हैं वर्तमान में रक्षा बंधन का त्यौहार आडंबरपूर्ण हो गया है लेकिन पुराने समय में रक्षाबंधन का पूरे महीने तैयारी की जाती थी रक्षाबंधन मनाने के लिए नवविवाहित लड़कियां ससुराल से मायके आया करते थे जिससे गांव में लड़कियों का जमघट से खिलखिलाहट गूंजती रहती थी इसी प्रसन्नता में वह पेड़ों पर झूले डालकर झूला झूलती है इस तरह से पेड़ों के आसपास मेले जैसा वातावरण बन जाता था अपने पियार आने पर खुशी को बहनों के चेहरे पर स्पष्ट देखा जा सकता था सेवई रक्षाबंधन का प्रमुख पकवान है बाजार रक्षासूत्र से पति नजर आते हैं जिस तरह इस प्रकार से गांव और बाजार में चारों तरफ सजावट की सजावट नजर आती है नजर आती है खेतों में फसल का काम फनी कम होने से लोगों के पास एक दूसरे से मिलने जुलने का समय भरपूर होता है जिससे प्रसन्नता दोगुनी हो जाती है सावन की पूर्णिमा के दिन बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र की बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करते हैं तथा भाई भी अपनी बहनों को कुछ ना कुछ उपहार देकर उन्हें आश्वस्त करते हैं कि वह उनकी आजीवन रक्षा करेंगे वह प्रसन्न रखेंगे सावन का महीना रोमांस का महीना भी माना जाता है इस तरह चारों तरफ उल्लास का मात्रा होने से कामदेव बी प्रसन्न रहते हैं और प्रेमी प्रेमिका अपने प्रेम को अति उत्साह से निर्वाह करते हैं सावन के महीने को रोमांटिक महीना बनाने में बॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा हाथ है इसलिए सावन के महीने को ध्यान में रखकर भारतीय फिल्मों में अनेक तरह के गीतों और दृश्यों की रचना की गई है कुल मिलाकर बरसात के सीजन को परंपरागत तरीके से उत्सव सावन के महीने में ही बनाए जाते हैं

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