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मेघ

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*मेघ मल्हार*आज तो बादल गरज रहे हैं झूम झूम कर बरस रहे हैं ठंडी ठंडी हवा चल रही हैतपते तन में सुकून भर रही है। झुकी जा रहीं पेड़ की डालियाँ प्रकृति का आलिंगन करने कोधरा भी तैयार हो

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आज प्रभंजन की वेग को देखकर मेघ भी शर्मा रहा है। काली घटाओं से सूर्य भी छिपता नजर आ रहा है। ग्रीष्म की यह ऋतु वर्षा में डुबकी लगा रही है। अपने तपिश को युही  मिटाते नजर आ रही है। बिन मौसम जो ये बा

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