मेरा पहला प्यार वो आँचल तेरा
"ये मौसम ये बादल और ये बूँदों के मेले, कितना अनोखा सा है न इनका मिलन" होस्टल के कमरे की जाली लगी खिड़की के पार देखता हुआ रोहित बोला।
कमरे में हल्की रोशनी थी, शाम का वक़्त और बाहर होती बारिश, बहुत सुकून भरा पल था वो, रोहित ने आगे कहा "दिल करता है इसपर कोई शायरी कर दु अभी, तू क्या बोलता है" रोहित ने ये अपने दोस्त अमीन से कहा।
अमीन चुप था खुदको पढ़ता हुआ दिखाने की कोशिश में वो टेबल पर किताबें रखकर बैठा तो था पर, वो आज पढ़ने की इच्छा के साथ नही बैठा था।
ये देखकर रोहित उसके पास आया और बोला "क्या हुआ तुझे, जहाँ तक मुझे मालूम है, तुझे ये मौसम ये महीने बहुत पसंद है ना अमीन"
इस बात पर अमीन चुप रहा तो रोहित ने ही आगे कहा "देख जानता हूँ अभी इतनी गहरी दोस्ती नही हुई है हमारी, लेकिन उदास क्यों बैठा है, कोई याद आ रही है क्या" कोहनी मारते हुए रोहित ने कहा तो अमीन ने उसे नाराज़गी से देखा।
वापस खिड़की पर जाते हुए रोहित ने कहा "चलो तुमको न सही पर हमें तो याद आ ही रही है किसी की, इन मौसमों में उसके सिवा किसी को, और कौन याद आता होगा, हाए वो भी क्या हुस्न था उसका यार"।
"किसका" रोहित तक अमीन की आवाज़ आई तो वो चौंक कर बोला "तो बंदे को पढ़ाई के अलावा भी किसी टॉपिक पर बात करनी है" रोहित अमीन की तरफ होकर बैठा और आगे बोला "हमेशा पढ़ाई को लेकर सीरियस दिखता है, आज लगता है बारिश ने तुझे भी नर्म कर दिया है, खैर सुन अब"।
अमीन बिना रोहित की तरफ देखे किताब बन्द करके वैसे ही बैठा रोहित को सुनने लगा।
रोहित ने कहा "उसका नाम पूजा है, अपनी नाम की ही तरह वो बहुत पवित्र सी है, संस्कारी है और कोई दिखावे वाला नही है" इस बात को रोहित ने अपने हाथ के इशारे से कहा था।
काफी देर तक रोहित के होंठो से पूजा का नाम और उसकी खूबसूरती का बखान होता रहा। अमीन उसे सुन भी रहा था, आख़री बात बोलते हुए रोहित ने कहा "खैर मैं तो इंतेज़ार में हूँ छुट्टियों के लिए, जाकर उसे सब कह दूँगा, की मैं उसे कितना पसंद करता हूँ"।
रोहित के चुप होने से कमरे में एक पँखे की आवाज़ के अलावा अब कोई दूसरी आवाज़ नही आ रही थी, हाँ बाहर बारिश की बूँदों की आवाज़े ज़रूर आ रही थी।
"तू किसे याद कर रहा है अमीन" रोहित ने अमीन को ख़ामोश देखकर पूछा तो अमीन ने कहा "नहीं, किसी को भी नही, होम्वर्क कर लिया तूने" रोहित चिढ़ते हुए बोला "अब होम्वर्क बोलकर मूड मत खराब कर, अरे इन मौसमों में पढ़ाई नही होती है"
"तो क्या होता है" अमीन ने पूछा तो रोहित शायराना अंदाज में आकर बोला "मोहब्बत होती है, मोहब्बत की बातें होती हैं जनाब, पर अफसोस आप नही समझेंगे ये"।
अमीन मुस्कुरा कर अपनी किताबें दोबारा पढ़ने लगा।
अगला दिन,
"हमारे ग्रुप ने मिलकर कॉलेज में स्टेज तैयार किया है, हम सब आपसे उसमें जुड़ने की बात कह रहे हैं"
कुछ लीडर्स स्टूडेंट्स की बात सुनकर बाकी स्टूडेंट्स में से किसी ने पूछा "किस तरह का स्टेज है"।
उन्होंने जवाब में कहा "मॉनसून सीज़न है, प्यार का मौसम" कहकर वो मुस्कुरा दिया तो बाकियों के चेहरे भी खिल से गये।
"घबराइए मत कोई पढ़ाई लिखाई नही है, बस आप सब लोग कुछ भी जो कहना चाहते हैं, वो कह सकते हैं, कुछ सुनाना चाहते हैं तो वो सुना सकते है, कोई किस्सा, कोई प्यार की दास्ताँ या कोई कविता वगैरह" वो आगे भी बोलते रहे।
अनाउंसमेंट के बाद सभी थोड़े खुश हो गए क्योंकि हर किसी के पास बताने को या किसी के ऊपर कुछ लाइने कहने को, बहुत कुछ था, तो सभी अपनी अपनी तैयारी में जुट गए।
रोहित दोस्तों से बात करता हुआ बोला "अब मैं कुछ सुनाऊँगा पूजा के ऊपर" दोस्तों से बाए बोलकर रोहित अपने हॉस्टेल के कमरे में आया तो अमीन को देखा। अमीन यटेबल पर था और एक कागज पर कुछ लिख रहा था।
"क्या लिख रहा है" रोहित की आवाज़ से अमीन चोंक गया और कागज़ को छुपा कर बोला "कुछ नही"।
रोहित ने बहुत पूछा पर अमीन ने नही दिखाया, रोहित को चुप कराने के लिए अमीन ने कहा "ठीक है बताता हूँ, आज अनाउंसमेंट मैने भी सुनी है, तो उसी पे कुछ कहने के लिए लिख रहा हूँ, अभी मत देख तभी सुन लेना मुझसे"।
रोहित हेरान होकर बोला "क्या बात है यार, तूने कभी ज़िक्र नही किया इश्क़ का, लगता है कोई राज़ वाली मोहब्बत है, चलो हम भी सुन लेंगे"।
उसी शाम,
रोहित अपने कागज़ के साथ स्टेज के लिए होस्टेल से निकलने वाला था, उसने पलटकर अमीन से कहा "क्या हुआ चल रहा है ना"। "हाँ तू जा मैं आता हूँ" अमीन ने कहा तो रोहित चला गया।
रोहित के जाने के बाद अमीन कुछ पलों के लिए खिड़की पर चला आया, बादलों की गड़गड़ाहट के साथ बरसती बूँदों को देख रहा था अमीन। अमीन ने एक नज़र कागज़ को देखा और उसकी पहली लाईन को पढ़ा "मेरा पहला प्यार वो तेरा आँचल"।
अमीन दुविधा में था, कि वो इसे पढ़कर सुनाएगा तो बाकी सब को कैसा लगेगा। अमीन दो पल के लिए बस उस कागज़ को देखता रहा।
अमीन के लिए ये सावन ये मॉनसून सब बस उसके दिल मे एक चेहरा लाने का काम कर रहे थे, वही चेहरा जिसके बारे में उसने लिखा था।
कुछ देर बाद,
स्टेज पर रोहित था जब ऑडोटोरियम में अमीन आया, अमीन दोस्तों के बीच काफी पॉपुलर था, सबको यही लगता था कि अमीन एक शांत और सीधे स्वभाव का है, उसके दिल मे किसी के लिए तो प्यार होगा ही लेकिन ये सब बस उन दोस्तों के ख्याल भर थे, अमीन ने कभी कोई नाम या किसी लड़की का ज़िक्र नही किया था उनके बीच।
("वो साँवला सा सलोना रंग उसका, जब भी वो आरती के लिए पूजा की थाली लिए मुस्कुराती थी, तो ना जाने दिल के हर कोने से एक खुसबू मेहक उठती थी, उसकी चंचलता उसका स्वभाव सब मेरे ज़हन की वो यादें है जो मुझे ज़िंदगी को जीने की हिम्मत सा देतीं हैं")
रोहित हाथ मे कागज़ पकड़े बोलता रहा और बाकी सभी उसका साथ देने के लिए उसका नाम ले रहे थे।
आख़िर की कुछ लाइनें पढ़कर उसने कहा
"करना अभी इंतेज़ार मेरा ज़रा तुम्हारे काबिल तो हो जाऊँ अभी, कुछ सपने तेरे हैं मुझमें, कुछ मेरे सपने तुझमें हैं, ज़रा उनको भी आ मिलकर पूरा कर लेंगे कभी"।
सबका शुक्रिया करने के लिए रोहित स्टेज पर खड़ा होकर शुक्रिया कहने लगा, फिर उसने अमीन को देखकर कहा "अमीन आजा अब तेरी बारी है, अमीन आज अपने दिल का राज़ खोलेगा दोस्तो" ये सुनकर सभी अमीन अमीन नाम लेने लगे।
रोहित स्टेज से नीचे आकर अमीन से बोला "जा अब तू अपना राज़ खोल"।
अमीन स्टेज पर आकर बोला "देखिए आप जो सोच रहे हैं शायद वो इस कागज़ में न मिले, फ़िर भी कुछ तो कहना है मुझे इस मौसम के बारे में, पहले प्यार के बारे में"।
सबने अमीन के लिए तालियाँ बजा दी। कागज़ को खोलकर अमीन ने उसपर लिखी पहली लाइन को पढ़ा "मेरा पहला प्यार वो तेरा आँचल"।
पहली लाईन सुनकर सभी ख़ुश होकर बोले "अमीन वाह क्या बात है, क्या बात है"।
अमीन ने आगे पढ़ा
"ये मौसम तुम्हारा मनपसन्द मौसम था, बादलों की तेज़ से तेज़ गड़गड़ाहट भी तुम्हें डराती नही थी, तुम्हें तो इंतेज़ार ही तेज़ बारिशों का होता था, मुझे भी तुमसे ही इसकी आदत सी हो गयी है शायद, क्योंकि मुझे ये रिमझिम बरसातों से ज्यादा तेज बारिशों का शोर अच्छा लगता है"।
रोहित ने अमीन के लिए कहा "क्या बात है क्या बात है, अमीन छा गया यार"।
अमीन ने सबको एक नज़र देखा, सभी के चेहरे पर इंतज़ार था कि वो अब नाम बताए।
अमीन ने आगे पढ़ा
"मुझे तुम्हारे आँचल सा सुकून आजतक कहीं और नही मिला है,
बातें जो तुमने मुझसे की वो सब याद तो नहीं है लेकिन,
सब कुछ कल ही हुआ है ऐसा ही हर सावन में लगता है,
तुझसे दूर रहना मुझसे सहा नही जाता है,
हर बार हर वक़्त बस तेरा ही ख्याल आता है"।
"अमीन नाम भी बता दो यार अब" अमीन के ही दोस्त ने कहा और आगे बोला "देखो आज भी मौसम वैसा ही है, तेज़ तो अब तो बता दो किसके लिए लिखे हो"।
अमीन ने मुस्कुरा कर देखा और सबसे कहा "अभी तो बताया था शायद वो आपको न मिले इसमें जिसे आप सुनना चाहते हैं, मेरा लिखा हुआ, पहले प्यार पर है"।
रोहित ने अमीन से कहा "हाँ तो पहला प्यार ही सही, किससे हुआ कौन है, ये तो बताओ"।
अमीन ने कागज़ हाथ में रख लिया और कहा "ये सिर्फ मेरा ही पहला प्यार नही है, सभी का है"।
इस बात से सब ज़रा सोच में पड़ गए, अमीन ने ये क्या कहा।
अमीन आगे बोला "अब सुनिये और समझने की कोशिश कीजिए, मुझे पता है आप सब समझदार है"।
अमीन ये कहकर आगे पढ़ने के लिए कागज़ देखने लगा और फिर बोला,
"पिछला सावन आखरी सावन था तेरा मेरा,
जो लगभग मेरी उम्र के हर साल की तरह अबतक आता रहा था,
मुझे वो पहला सावन तो याद नही है,
पर तुझसे सुना है मैने उस सावन के बारे में,
मुझे गोद में लिए तू, दरवाजे पर आए सावन से मुझे मिलाती थी,
रातों में बरिशों की आवाज़ के साथ तेरा हर गीत मेरे दिल मे उतर जाता था,
तेरा हाथ थामें चलना हो या मेरा तुझे परेशान करना हो,
तेरे आँचल में छुपकर तुझे देखना मेरी मोहब्बत थी,
मेरे लिए तेरा हर बार फिक्रमंद हो जाना तेरी चाहत थी,
मेरा पहला प्यार तुम थी माँ, और तुम्हारा आँचल मेरी ज़िंदगी"।
कॉलेज के सभी स्टूडेंट्स इन लाईनों को सुनने के बाद हल्की मुस्कान लिए अमीन को सुनने लगे, अब सभी जानते थे अमीन क्या कह रहा था, रोहित के साथ साथ बाकी सभी भी इस बात को मान गए थे कि हर किसी का पहला प्यार माँ और उसका आंचल ही है।
अमीन खोया हुआ सा अबतक आगे कहता जा रहा था,
"तेरे साथ मेरी उम्र चलते चलते सालों आगे तक चली आई थी,
मगर इतने सालों दूर तक आकर भी तेरा मुझसे और मेरा तुझसे,
प्यार कभी कम नही हुआ, सिर्फ बढ़ता ही गया,
याद है मेरी हर बात तू मेरे कहने से पहले ही समझ लेती थी,
मेरा उदास मन हो या कोई खुशी की बात, ये सभी तू जान लेती थी,
माँ तेरी छवि तेरे बाद मुझे कहीं नही मिली,
तेरा आँचल जब मेरे सर से उठ गया, तो न जाने क्या टूटा मेरे अंदर,
बिखर गई दुनिया थी या खुद मैं था अबतक उलझनों में उलझा रहता हूँ,
लोग कहते हैं पहला प्यार नही भूलता, मैं कहता हूँ ये भुलाया ही नहीं जा सकता"।
अमीन की आँखों से बहते आँसू देखकर रोहित भी उसके पास स्टेज पर आ गया और उसके कंधे पर हाथ रख दिया, अमीन को अच्छा लगा था, अमीन ने सभी को देखा, सबकी आँखे नम थी, अमीन ने आगे की आख़री लाइने पढ़ी।
"पिछला सावन भी हर सावन जैसा था तेरा मेरा,
बस तेरे मेरे बीच ये मिलों की कुछ दूरियाँ थी,
मैं तो सावन में खिड़की से बरिशों को देखकर तुझे ही याद कर रहा था,
क्या पता था उस रात मुझे तेरी ही खबर मिलेगी,
क्या पता था इस बार तुझसे मिलूँगा तो तू दौड़कर मुझतक नही आएगी,
क्या पता था ये मिलों की दूरी, इतनी बढ़ जाएगी,
तू खमोशी की एक चादर में लिपटी मुझे मिलेगी,,।
अमीन का दिल भर आया, उससे आगे पढ़ा नही जा रहा था, रोहित ने अमीन के कांपते हाथ देखे तो उस कागज़ को लेकर वो आगे आ गया और उसे पढ़ने लगा।
"पिछले सावन जैसा ही ये फिर स्वान आया है माँ,
कैसे सहूँ मैं इसे, कैसे बर्दाश्त करुँ इन बारिशों को,
क्यों तू इस सावन में साथ नही है,
तेरे बिन ये सावन और आने वाले हर सावन अधूरे हैं,
जैसे मैं तेरे बिन अधूरी सी ज़िंदगी जी रहा हूँ,
तुझे याद करते करते लगता है, तू अभी आ जायेगी,
और मुझे फिर तेरे आँचल का साया नसीब होगा।
"मेरा पहला प्यार वो आँचल है माँ"।
रोहित ने आखरी लाईन पढ़कर अमीन को गले से लगाकर कहा "शुक्रिया मेरे यार, हमे हमारा पहला प्यार याद दिलाने के लिए"।
सभी नम आँखों के साथ तालियाँ बजाने लगे अमीन के लिए।
साजिद