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❣️मेरी बगिया❣️

27 जुलाई 2022

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           मेरी बगिया
    ❣️🙌❣️🙌❣️🙌❣️

चिड़ियाँ(बेटियां) तो उड़ गई है, 
अब पिंजरा खाली रहता है।
तोता(बेटा) तो कुछ बोलता,
नही अपनी दुनियां में रहता है।

मेरे दिल के आंगन में ,
कुछ मीठी यादे रहती हैं।
मिले उन्हें आकाश खुला,
 ये दिल की धड़कन कहती है।

तुम उड़ो सदा, चहको महको ,
ऊंचे खुले आसमानों में,
तुमको फलते बढ़ते देखा,
मैंने दिलके अरमानों में।

तुम ही मेरी दुनिया हो ,
तुम ही मेरी जन्नत हो, 
तुमसे ही तो जिंदा हूं में, 
तुम ही मेरी धड़कन हो।

दिल का कोना खाली है ,
धरती है और माली है,
फूल खिलेंगे हर मौसम में, 
क्योंकि लहराती डाली है।

पेड़ लगाने वाले कब, 
अपने फल खा पाते हैं,
फिर भी अगली नस्लों को, 
वे अपनी मेहनत दे जाते हैं।

चिड़ियां (बेटियां)मेरी ना थी,
 पर तोता(बेटा) तो मेरा है,
बस तोते से खिला हुआ,
 ये मेरा रैन बसेरा है।

चाहे तोता मौन है रहता,
पर उसकी खुशबू आती है।
 खट्टी हो या मीठी यादें,
 दिल को तो महकाती है।

खिले हुए इन फूलों से ही,
दिल की बगिया मुस्काती है।
इनकी यादों की खुशबू ही, 
मेरे जीवन को महकाती है।

कमलेश अरोड़ा


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रचनाएँ
नारी अंतर्मन
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एक लड़की किसी एक इंसान के लिए, अपना पतिवार,अपने रिश्ते नाते छोड़कर छोड़ कर इस उम्मीद से आती है, कि उसका एक सच्चा साथी सुख-दुख बांटने वाला खुशियां देने वाला सहयोगी होगा। वह नए रिश्तो को अपनाकर सभी को खुशियां देने , घर को सजाने संवारने की कोशिश करती है। उसे पता ही नही चलता कब वह खुद को ही भूल जाती है। उसे खुद के बारे सोचने का वक्त कब मिलता है। वह तो पति, परिवार और बच्चों के लिए अपनी ख्वाहिशों, उम्मीदों और इच्छाओं की कुर्बानी दे खुसी पूर्वक दे देती है । पर उसे कोई नही समझता। यहां तक कि एक दिन बच्चे भी अपनी दुनिया मे मस्त हो जाते हैं। तब उसे महसूस होता कि अब वह तक गई है, उसका वजूद कुछ भी नहीं। फिर वह स्वयं को खोजती है, पर वह खो चुकी होती है खुद को। इस पुस्तक में कविताओं के माध्यम से नॉरी के अंतर्मन को उजगर करने का प्रयास किया गया है।
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🥰मेरा प्यारा बच्चा- मेरा अंतर्मन🥰

14 सितम्बर 2022
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मेरा प्यारा बच्चा- मेरा अंतर्मन 🥰🥰🥰🥰🥰🥰मेरे दिल में बसता है इक छोटा बच्चा जो चुपके के मुझको सहलाता है। कहता ह तू गम न कर कोई हो न हो अपना तो जन्मों का नाता है।मै जब भी होत

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🙏मौन ,क्रंदन, इंतजार 🙏

30 जुलाई 2022
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🙏मौन ,क्रंदन, चीत्कार और इंतजार 🙏कभी मौन क्रंदन, कभी सिसकियां, कभी चीत्कार, हुआ जिंदगी से मेरा यू साक्षात्कार, बार-बार कई बार।मिट्टी के जर्जर मकान की पपडियों की तरह ,जवानी भरभराने ल

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❣️❣️मैं माँ हु,  तेरी नाल से जुड़ी हूं,❣️❣️

26 जुलाई 2022
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मैं माँ हु, तेरी नाल से जुड़ी हूं, ❣️❣️❣️❣️❣️❣️ हां मैं बुरी हूं पर तेरी नाल से जुड़ी हूं, तुझे रोकती हूं टोकती हूं, तुझे समझाती हूं, दुनिया

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❣️मेरी बगिया❣️

27 जुलाई 2022
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मेरी बगिया ❣️🙌❣️🙌❣️🙌❣️चिड़ियाँ(बेटियां) तो उड़ गई है, अब पिंजरा खाली रहता है।तोता(बेटा) तो कुछ बोलता,नही अपनी दुनियां में रहता है।मेरे दिल क

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🌷🌷हारी नहीं,थक बैठी हूँ, 🌷🌷

26 जुलाई 2022
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🌷🌷हारी नहीं,थक बैठी हूँ, 🌷🌷 हारी नहीं हूं थक बैठी हूंअपनी खुशियां, अपने सपने,यहीं कहीं रख बैठी हूं ।ढूंढ रही हूं कोना कोना,कहां छुपा है मेरा बचपन,कहां थे छूटे खेल खिलौने,कहां गया मेरा अल्हड़प

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💧 मुझे पूरा सागर पीना है।💧

27 जुलाई 2022
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💧 मुझे पूरा सागर पीना है।💧 💧💦💧💦💧💦💧 मैं मुक्त गगन की उड़ती पंछी, कैद हो गई पिंजरे में। मैं तो उड़ना, बोलना भूल गई, जीवन के उलझे टुकड़ों में। मैं तो थी लहराती नदी, कलक

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   🌹कुछ लम्हे चुरा लूं🌹

27 जुलाई 2022
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. 🌹कुछ लम्हे चुरा लूं🌹कुछ लम्हे चुरा लूं कुछ जिद को छोड़ दू, अपने दिल के टुकड़ों को में फिर से जोड़ लू।कुछ लम्हे चुरा लूं और जिद को छोड़ दूं.....बिखरे हुए सपनों को थोड़ा समेट लूं , उलझे

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🌹कभीअमृत, कभी हलाहल 🌹

27 जुलाई 2022
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नारी जीवन 🌹कभीअमृत, कभी हलाहल 🌹 जीवन के रंग न्यारे है,नयनों में दुख के बादल है तो कभी खुशी के तारे है।कभी खुशी का

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💔दिल टूट जाते हैं...💔

27 जुलाई 2022
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दिल टूट जाते हैं... 💔💔💔💔💔💔बेगाने जब गलत ठहराते हैं तो परवाह नहीं होती,अपने जब गलत ठहराते हैं,तो दिल टूट जाते हैंजिन रिश्तो को सवारने की खातिर,हमने खुद को भी

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🌷आंधियों से टकराने की मेरी की जिद 🌷

28 जुलाई 2022
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आंधियों से टकराने की मेरी की जिद 🌷🌷🌷🌷🌷आँधियों से टकराने की जिद थी मेरी,टूट कर न बिखर जाने की ज़िद थी मेरी.. आंधियां जो चली दरख़्त टूटे कईटुट कर

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❤  माँ मेरी माँ..❤

28 जुलाई 2022
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❤ .माँ मेरी माँ..❤तुम्ही तो मेरी जन्नत हो, जन्नत का नजारा भी..मुझे दुनिया में तुम लाई, फकत मुझ को स्वारां भी...मेरी रातों में तुम जागी, दिया मुझको उजारा भी...&nbsp

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 🦜घरोंदें में तिनके सजा लेना🦜

29 जुलाई 2022
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🦜घरोंदें में तिनके सजा लेना🦜 🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜सब दर्द छुपा लेना,थोड़ा मुस्कुरा लेना,अपने घरौंदे में, फिर तिनके सजा लेना।गए हुए परिंदे,

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💃 मैं लाखों पर भारी हुँ। 💃

30 जुलाई 2022
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💃 मैं लाखों पर भारी हुँ। 💃💃💃💃💃💃💃नही रूकी हुँ नहीं झुकी हुँ, न तकदीर से हारी हूँ।मुझको तुम अबला मत समझो,मैं लाखों पर भारी हुँ।बेटी बन आँचल भर्ती हुँ,माँ बन ममता अर्पित करती हूँ,बहन बनूँ तो

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गूंगी बहरी,  इक माँ चाहिये 🌷🌷🌷🌷🌷 😷😷😷😷😷

6 अगस्त 2022
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माँ से बस "हाँ "चाहिये,गूंगी बहरी, इक माँ चाहिये🌷🌷🌷🌷🌷हाँ सभी को एक मां चाहिए ,अपनी हर बात में उसकी हां चाहिए।हर इशारे पर कुर्बान हो जाए जो हर बात में सदा हां मिलाए जो,सबको माँ की

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