मैं माँ हु, तेरी नाल से जुड़ी हूं,
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हां मैं बुरी हूं पर तेरी नाल से जुड़ी हूं,
तुझे रोकती हूं टोकती हूं, तुझे समझाती हूं,
दुनियादारी सिखाती हूं,
तुझे ठोकर लगे तो टूट जाती हूं।
हां मैं बुरी हूं, पर तेरी नाल से जुड़ी हूं...
मेरा रोकना,टोकना, तुझे बंधन लगता है,
मेरा फिक्र करना,तेरी आंख में खटकता है,
तू भूल गया , तेरे लिए मैं जमाने से लड़ी हूं ,
हां मैं बुरी हूं पर तेरी नाल से जुड़ी हूं।
तुझे कोख में समाया, तुझे गोद मे खिलाया,
तेरी हर खुशी के लिये , गम अपना भी छुपाया
तेरी हर फिक्र में दिन रात मैं जली हूं।
हां मै बुरी पर तेरी नाल से जुड़ी हूं।
जागती थी रात भर तुझे चैन से सुलाने को,
खुद गीले पर सोती , तुझे सूखे पर लिटाने को,
तेरे हर दर्द पर मै लाखो मौत मरी हूं,
हां मै बुरी हूं पर तेरी नाल से जुड़ी हूं।
तू आगे बढ़ गया, दुनिया की चकाचौंध में खो गया,
मै पीछे दौड़ती रही,मेरा लाल कही खो गया,
आज भी तेरी राह में,मैं पलके बिछाये खडी हूँ।
हां मैं बुरी हूं पर तेरी नाल से जुड़ी हूं।
मां की हर बात तुझे सताने लगी,
दुनिया की चमक तुझे भाने लगी,
मैं भूल गई तुझे जीवन में चमकना है,
पर मैं भी तो तेरे वजूद की कड़ी हु,
हां मैं बुरी हूं पर तेरी नाल से जुड़ी हूं।
तेरे वजूद में खुद को ढूंढती हुँ
,तेरी आँखों मे अपने सपने खोजती हुँ,
तुझे टोकती हूं रोकती हूं, थोड़ी नकचढ़ी हूं।
हां मैं बुरी हूं पर तेरी नाल से जुड़ी हूं।
जानती हूं तझे सपनों को सजाना है,
जानती हूं तुझे नया नीड बनाना है,
पर मै भी किसी आस में खड़ी हूं ।
हां मै बुरी हूं पर तेरी नाल से जुड़ी हूं।
कमलेश अरोरा