. 🌹कुछ लम्हे चुरा लूं🌹
कुछ लम्हे चुरा लूं कुछ जिद को छोड़ दू, अपने दिल के टुकड़ों को में फिर से जोड़ लू।
कुछ लम्हे चुरा लूं और जिद को छोड़ दूं.....
बिखरे हुए सपनों को थोड़ा समेट लूं , उलझे हुए धागों को थोड़ा लपेट लूं ,
कुछ ख्वाब बुन लू और कुछ बंधन तोड़ दू।
कुछ लम्हे चुरा लूं और जिद को छोड़ दूं.....
खुली हवाओं से उड़ना सीख लूं, काली घटाओं से बरसना सीख लूं,
साहिल से टकरा कर , किनारों को तोड दूं।
कुछ लम्हे चुरा लूं और जिद को छोड़ दूं.....
मै हूं इक झरना,खनकता सा कंगना,
महका हुआ आंगन, सरकता हुआ आँचल,
मै तो हुँ मन्नत , रुख दुआओं का मोड़ दू।
कुछ लम्हे चुरा लूं और जिद को छोड़ दूं.....
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कमलेश अरोड़ा