मै कोई लेखिका नही हूं,पर लिखना चाहती हू,वो सारी बाते जो मैं अनुभव करती हु और जिसे बदलना चाहती हूं,वो मन की भावनाएं जो मैं अनुभव तो करती हूं पर किसी व्यक्ति विशेष से सांझा नही कर सकती।
कई बार जीवन को गहराई से देखने की कोशिश की मैने और जब गहराई में उतरती हू तो जीवन मिथत ही लगने लग जाता है, फिर खुद को समझाती हूं और सोचती हू क्यों डूबू गहराई में जो चल रहा है चलने दू।
जीवन में बहुत संघर्ष देखे हैं मैने ,ये कहना गलत होगा कि संघर्ष मैने ही देखे हैं क्योकि जब जब किसी और की पीड़ा को अनुभव किया है मैने, मेरी पीड़ा तो बहुत कम नज़र आई है।, ये कह कर मैं ख़ुद को महान कदापि घोषित करना नहीं चाहती हूं, पर जो है वो बस लिख रही हूं, खुद के बारे में बस खुद को परिचित करवाना चाहती हूं ।