मुझे प्रेम जताते हो
मुझे पास बुलाते हो
जब सब कुछ तुमसे है मेरा
मुझे क्यों सताते हो?
कभी आँचल थामते हो
कभी बंधन बांधते हो
कभी छोड़ देते हो हाथ मेरा
कभी हक़ भी मांगते हो,
कभी दिल ये तोड़ते हो
कभी रिश्ते जोड़ते हो
कभी राहें ताकते हो
कभी बीच में छोड़ते हो
न रहेंगे जब हम सनम
फिर किसको छोड़ोगे
खुद टूट टूटकर बिखरे हो
मुझे और कितना तोड़ोगे?