मुम्बई में सब कुछु मिलता है,
बस दिल नही मिलते I
चारों तरफ़ भीड़ ही भीड़,
पर इंसान नही मिलते I
जिसे देखो भाग रहा है,
आखिर जाना कँहा है भाई I
पैसा ही है सबको प्यारा,
चाहे दर्जी हो या नाई I
मुम्बई नही है कभी सोती,
पर दिल के आँसुओ से है रोती I
कँही करोड़ों खर्च होते हैं एक रात में,
कँही भूखे ही सो जाते हे लोग एक साथ में I
महलों में रहते है कोई,
कोई रहते हे स्लम में भाई I
कोई पीते बिसलरी कोई गटर का पानी,
जीवन यापन करने में यँहा याद आती है नानी I
कहीं प्रदूषण कहीं अपराधी,
चारों ओर मची है आपाधापी I
ना कोई अपना ना कोई पराया,
बस ऊपर वाले का ही है साया I
कहीं चलती है गोली ,
कहीं होती है रात रंगीली I
जो गुंडा होता है यँहा,
वह कहलाता है भाई I
पुलिस प्रशासन नेता करते मिल कर यँहा उघाही,
आतंकवादी, डॉन यँहा के मिल कर करते तबाही I
सब करते हैं मौज यँहा पर आतंकी हो या अपराधी ,
भूखी ही सो जाती है फुटपाथों पर यंहा की आधी आबादी I
शिक्षा मँहगी, पानी मंहगा, मँहगी हवा यँहा, I
रिश्ते नाते भाई बन्धु नही रखते कुछू मायने यँहा,
मतलब जिससे हो वही बाप है वही खुदा यँहा I
जो हैं भ्रष्टाचारी ब्यभिचारी वही सबसे बड़ा ब्यापारी यँहा,
जनता को जो बेवकूफ बनाए वही सबसे बड़ा मसीहा यँहा I