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मुम्बई नगरी

29 जनवरी 2015

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मुम्बई में सब कुछु मिलता है, बस दिल नही मिलते I चारों तरफ़ भीड़ ही भीड़, पर इंसान नही मिलते I जिसे देखो भाग रहा है, आखिर जाना कँहा है भाई I पैसा ही है सबको प्यारा, चाहे दर्जी हो या नाई I मुम्बई नही है कभी सोती, पर दिल के आँसुओ से है रोती I कँही करोड़ों खर्च होते हैं एक रात में, कँही भूखे ही सो जाते हे लोग एक साथ में I महलों में रहते है कोई, कोई रहते हे स्लम में भाई I कोई पीते बिसलरी कोई गटर का पानी, जीवन यापन करने में यँहा याद आती है नानी I कहीं प्रदूषण कहीं अपराधी, चारों ओर मची है आपाधापी I ना कोई अपना ना कोई पराया, बस ऊपर वाले का ही है साया I कहीं चलती है गोली , कहीं होती है रात रंगीली I जो गुंडा होता है यँहा, वह कहलाता है भाई I पुलिस प्रशासन नेता करते मिल कर यँहा उघाही, आतंकवादी, डॉन यँहा के मिल कर करते तबाही I सब करते हैं मौज यँहा पर आतंकी हो या अपराधी , भूखी ही सो जाती है फुटपाथों पर यंहा की आधी आबादी I शिक्षा मँहगी, पानी मंहगा, मँहगी हवा यँहा, I रिश्ते नाते भाई बन्धु नही रखते कुछू मायने यँहा, मतलब जिससे हो वही बाप है वही खुदा यँहा I जो हैं भ्रष्टाचारी ब्यभिचारी वही सबसे बड़ा ब्यापारी यँहा, जनता को जो बेवकूफ बनाए वही सबसे बड़ा मसीहा यँहा I
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मुम्बई नगरी

29 जनवरी 2015
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मुम्बई में सब कुछु मिलता है, बस दिल नही मिलते I चारों तरफ़ भीड़ ही भीड़, पर इंसान नही मिलते I जिसे देखो भाग रहा है, आखिर जाना कँहा है भाई I पैसा ही है सबको प्यारा, चाहे दर्जी हो या नाई I मुम्बई नही है कभी सोती, पर दिल के आँसुओ से है रोती I कँही करोड़ों खर्च होते हैं एक रात में, कँही

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देवभूमि

29 जनवरी 2015
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नमन करता हुँ में देवभूमि को, जिसका नाम है उत्तरांचल, पवित्र यंहा कि धरती, पवित्र यहाँ के लोग, पवित्र यंहा का गंगाजल I शुद्ध हवा, शुद्ध पानी, सच्चे इंसान, पवित्र यंहा के देवस्थल I ऋषि मुनियो कि तपोभूमि यह , देवो का हे आवास स्थल, हरियाली है चारो ओर, न कोई प्रदूषण, न कोई मरुस्थल, प्रेम से र

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हम इस देस के वासी हैं

29 जनवरी 2015
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हम इस देश के वासी है जिस देश में गंगा बहती है नेता दिन भर खाते है और जनता भूखी सोती है गौ माता भूखी सोती है और नेता चारा खाते है बिजली का उत्पादन नहीं हो पाता क्योंकि कोयला नेता खाते है पीने को नहीं मिलता पानी पर दारू की नदिया बहती है दवा नही मिल पाती पर ड्रग्स की कभी कमी नही

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नया साल 2015

29 जनवरी 2015
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नए साल में आओ हम सब भारत माँ को नमन करें बुराइयों को दूर भगाएं और सभी प्राणियों से प्रेम करें , नए साल में अच्छा सोचें अच्छा ही हम कर्म करें देव शक्तियों को दृढ करें हम दानवो का नाश करें भूलो मत ऋषियों की संतान हैं हम ऋषियों जैसे काम करें छोड़ो नशा और भ्र्ष्टाचार कभी न ऐसा काम करें

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जल-प्रलय

30 जनवरी 2015
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अठारह जून वीस सौ तेरह कि वह काली रात, बाबा केदारनाथ रूठ गए भक्तो से बिना बात I केदार बाबा ने ऐसी भरी हुंकार, चारो ओर मच गया हा हाकार I बाबा केदार क्यों हुए रुष्ठ , न हो सका अब तक स्पष्ठ I चारो और बिछ गई लाशें, टूटे पहाड़ रुक गई सांसे I माँ मन्दाकिनी विकराल हो गई, पहाड़, मिट्टी, पत्

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