शिलान्यास सी
खड़ी
एक नार
अपने समय की
प्रतीक्षा कर
आज भी जड़ है
अपने चेतन मन के अंतर में
कब होगा
उसका भी प्रादुभाव
पुरषों की इस विसंगति में
(राम)
उद्धारक केवल तुम बने
अनुसरण हुई केवल
ठोकर में
28 जनवरी 2022
शिलान्यास सी
खड़ी
एक नार
अपने समय की
प्रतीक्षा कर
आज भी जड़ है
अपने चेतन मन के अंतर में
कब होगा
उसका भी प्रादुभाव
पुरषों की इस विसंगति में
(राम)
उद्धारक केवल तुम बने
अनुसरण हुई केवल
ठोकर में
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मैं दिल्ली की रहने वाली हूं और एक गृहणी हूं| कविता पढ़ने और लिखने का शौक रखती हूं| कबीर,ओशो और गुलज़ार से बहुत प्रभावित हूं| मन के उदगार को भावों में पिरोने का प्रयास लिए हूं।D
स्वतंत्र छंद में लिखी इस कविता में बेहतरीन भाव छिपे हैं।💐👏
28 जनवरी 2022