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नारी

28 जनवरी 2022

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शिलान्यास सी 

खड़ी 

एक नार

अपने समय की 

प्रतीक्षा कर 

आज भी जड़ है 

अपने चेतन मन के अंतर में 

कब होगा 

उसका भी प्रादुभाव

पुरषों की इस विसंगति में 

         (राम) 

उद्धारक केवल तुम बने 

अनुसरण हुई केवल 

ठोकर में




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स्वतंत्र छंद में लिखी इस कविता में बेहतरीन भाव छिपे हैं।💐👏

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