पलकों से
शबनम
जब भी गिरी
तेरे सीप में
ढलकर
मोती बनी
28 जनवरी 2022
पलकों से
शबनम
जब भी गिरी
तेरे सीप में
ढलकर
मोती बनी
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मैं दिल्ली की रहने वाली हूं और एक गृहणी हूं| कविता पढ़ने और लिखने का शौक रखती हूं| कबीर,ओशो और गुलज़ार से बहुत प्रभावित हूं| मन के उदगार को भावों में पिरोने का प्रयास लिए हूं।D
बेहद खूब👏💐😊
28 जनवरी 2022