मेरे शब्द ही पहचान है गर याद रहें
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ट्रैन में बहुत देर तक सोने के बाद जब नींद खुली, मै अनजान से स्टेशन पर था पहले तो समझ हीनहीं आया मैं कहा पहुंच गया था | पिछले दो दिन से बस यूँ सफर किये जा रहा था बिना किसी मकसद बिना किसी कारण ,,