भोले बाबा - कविता
भोले बाबातू ही शून्य है, तू ही सत्य हैबाकि सब कुछ झूठ है।भोले बाबा तेरे दरबार में,ही सब कष्टों से छूट है।तू ही जीवन है, तू ही मृत्यु।तू ही सबका पालनहार है।जो भी भजता तेरा नाम,पूरे होते उसके काम हैं।पी कर हलाहल बाबा तुमने,देव जनों के कष्ट हरे।कर तांडव तुमने बाबा,दुष्टों के भी प्राण हरे।तुम ही आदि हो,