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निवाले

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एक शाम के लिए|हसती मुस्कराती दिन को गुजारती|कर काम घर पर, बिस्तर सवांरती|दिन भर की आवाजे तंग करती उसे|दिन में तरह-तरह के ब्यंग भरती वह|लौटती दोपहरी, जीवन के नएपन में|हसता खिलखिलाता बचपन लौट आता|बदल कपडे, दे कटोरा, दूधभात भरा हाथ में|चौखट की माथे पर बैठ, मै कई निवाले खाती|माँ अक्सर बैठ आँगन में, पूस

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