एक शाम के लिए|हसती मुस्कराती दिन को गुजारती|कर काम घर पर, बिस्तर सवांरती|दिन भर की आवाजे तंग करती उसे|दिन में तरह-तरह के ब्यंग भरती वह|लौटती दोपहरी, जीवन के नएपन में|हसता खिलखिलाता बचपन लौट आता|बदल कपडे, दे कटोरा, दूधभात भरा हाथ में|चौखट की माथे पर बैठ, मै कई निवाले खाती|माँ अक्सर बैठ आँगन में, पूस
मैं किसी राजनीति क पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं हूँ फिर भी राजनैतिकऔर राजअनैतिक गतिविधियों से प्रभावित तो होता ही हूँ । जब श्री अरविंद केजरीवाल राजनीति में आये और ए ए पी बनायी मुझे लगा देश में वाकई क्रांति आने वाली है । इसका शुरुआती अच्छा असर ये हुआ था कि सारे राजनीतिक दल