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अनमोल दोस्ती

6 अगस्त 2022

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संतोष को उसका एक मित्र घनश्याम रास्ते में टकराता है , दोनो ही बहुत खुश होते हैं , सामने  के चाय के  टपरी पर दोनो चाय पीते हैं,!!
बातो बातो में घनश्याम कहता है ,*" आते तुझे कुछ  पता है की नही , तेरे जिगरी दोस्त की पत्नी सीरियस है ,लेकिन तेरा तो उस से झगड़ा हो गया है ना  जाने दे  वह आदमी ही ऐसा है ,जब वो तेरा नहीं हुआ तो किसका हो सकता है ,*"!!
घनश्याम को जल्दी थी , तो वह  चाय के पैसे देकर चल देता है ,*"!!
संतोष सोचता है ,*" वह और किशोर बचपन के दोस्त थे ,हरदम साथ रहना साथ खाना साथ ही फिल्मे देखना मतलब दो शरीर एक जन थे ,एक को बुखार होता तो तपिश दूसरे के शरीर में आ जाती थी ,!!
और बात तो तब बिगड़ी जब एक ही लड़की पर दोनो का दिल आ जाता है , संतोष ने तो वहां भी समझौता कर लिया था पर वह लड़की भी उसकी ओर अधिक आकर्षित थी ,पर संतोष उसके साथ ऐसा व्यवहार करता है की वह उस से चिढ़ जाती है , और किशोर के कान भर भर कर उसका दुश्मन बना देती है और एक दिन वह उसके साथ सारे संबंध ही खतम कर लेता है ,उसके इस हरकत से संतोष को भी बहुत बुरा लगता है ,और वह भी कसम खा लेता हैं की वह अब कभी उसका मुंह नही देखेगा , अब उसके साथ अच्छा हो या बुरा हो उससे क्या मतलब यह सोच कर वह  अपने काम पर निकल जाता है , *"!!

किशोर हॉस्पिटल में अपनी पत्नी ज्योति के पास बैठा था , ज्योति कहती है ,*" अब मै  नही बचूंगी मेरी  दोनो ही किडनी खराब हो गई है ,*"!!

और स्पेशल केस होने के कारण उसे किडनी मिल नही पा रही थी , पहले ही इलाज में लाखो रुपए लग चुका था ,रोज डायलेसिस करने में बहुत खर्च होता है को पिछले साल से रोज ही हो रहा था , दवा के खर्चे के अलावा बहुत सारे खर्चे थे , इसके पहले किशोर के पिता की तबियत खराब थी तो उसमे उसका घर बिक गया था, फिर भी बच नहीं पाएं थे , किशोर की सैलेरी अच्छी थी पर एक लाख रुपए महीने अब ज्योति के इलाज के लिए ही पूरे नही हो रहे थे , हॉस्पिटल का बिल और बाकी सब मिलकर ही एक लाख से ऊपर हो जाते थे ,अब उसके ऊपर जो भी खर्चे थे वह कर्ज के रूप में बढ़ रहा था , ज्योति की किडनी यहां पर मिल नही रहा था ,और फिर विदेश में जाकर ऑपरेशन करवाने में चालीस लाख का खर्चा था , जिसके लिए किशोर ने लोन के लिए अर्जी दे रखा  था ,पर वहां भी लोगो की लाइन थी और हर महीने ऑफिस में सिर्फ तीन से चार लोगो का ही  लोन डिस्पैच होता था और उसका नंबर बहुत पीछे था , वहां पर सभी लोग इमरजेंसी वाले ही थे ,!!

वह अपने सभी दोस्तों  और  रिश्तेदारों से पैसे के लिए बात कर चुका था, पर हर किसी ने हाथ उठा दिया था , यहां तक की उसके दोस्त और रिश्तेदारो ने  अब मिलने आना भी छोड़ दिया था ,क्योंकि उन्हे डर था की आयेंगे तो कही पैसे न देने पड़े ,*"!!
किशोर बहुत परेशान था क्योंकि उसका साथ  देने वाला कोई नही था, उसे आज अपने प्रिय दोस्त की बहुत याद आती है ,वह रहता तो चाहे कुछ भी होता वह उसका साथ नहीं छोड़ता , उसे अब अपनी गलती का एहसास होता है ,!!

उसकी आंखो में आंसु देख ज्योति अपनी कमजोर आवाज से पूछती है,*" क्या हुआ मेरी वजह से रोना आ रहा है , *"!!?
किशोर कहता है ,*" संतोष की याद आ रही है ,आज वह होता तो कुछ भी करके हेल्प करता ,*"!!
ज्योति कहती है ,*" सब मेरी गलती है , मैंने  छोटी मोटी गलतफहमी को इतना बड़ा  कर दिया था ,आज मुझे भी अफसोस हो रहा है मुझे थोड़ा शांति से काम लेना चाहिए  था ,एक बात कहूं तुम अभी भी उसको कॉल करोगे तो वह जरूर आयेगा , *"!!
किशोर कहता है,*"ना ही उसका नंबर है और ना ही पता ,मुझे तो यह भी पता नही की वह है कहा ,*"!!
ज्योति कहती हैं,*" हैं ऐसे अच्छे मित्र को खोना  नहीं चाहिए था ,ना मैं तुम दोनो के बीच आती और ना ही तुम अलग होते ,मरने से पहले मैं एक बार उस से मिलना चाहूंगी ताकि माफी मांग सकूं ,और तुम दोनो की दोस्ती फिर से हो जाए ,*"!!
दूसरे दिन किशोर घर जाकर आता है वह ज्योति का खाना और नाश्ता लेकर आया था , सिर्फ  दोनो ही  घर में थे , इसलिए वह  ज्योति को घर में अकेले नही छोड़ना चाहता था , इसलिए यहां ऐडमिट करवा रखा था , यहां पर ट्रीटमेंट भी होता था और देखने के लिए नर्स भी होती थी , वह सुबह  ज्योति को फ्रेश करवा कर जाता था फिर खुद ऑफिस जाने के लिए तैयार होता था ,  वह ज्योति से कहता है ,*" मैं आज मैनेजर से फिर बात करूंगा वह अगर चाहे तो बॉस को बोलकर थोड़ा पहले काम करवा सकता है ,*"!!
दोपहर में डॉक्टर आता है , और कहता  है ,*" बधाई हो , तुम्हारे किडनी का अरेंजमेंट हो गया है , अभी अभी कॉल आया था ,*"!!
ज्योति बहुत खुश होती है , वह तुरंत किशोर को फोन करती हैं , और उसे बताती है तो वह तुरंत छुट्टी लेकर आता है और डॉक्टर के पास जाता है तो डॉक्टर कहता है ,एक ट्रस्टी  आया था जिसने किडनी के पेशंट के लिए कुछ  फंड दिया तो अभी सामने तुम्हारी वाइफ का सबसे ज्यादा इमरजेंसी था तो हमारे टीम ने डिसाइड किया की उसमे से पहला काम तुम्हारी वाइफ का ही किया जाए ,दो से तीन दिन में  हमारी टीम वहां लेकर जायेगी ,*"!!

किशोर ज्योति से कहता है ,*" किसी बड़े ट्रस्ट ने कुछ पैसे डोनेट किया तो यहां के डॉक्टर्स ने तुम्हारे लिए उसे यूज करने का प्लान बनाया है ,दो से तीन दिन में हमे निकलना है , *"!!
ज्योति कहती है ,*" अगर हो सके तो संतोष को ढूंढ लो पता नही मुझे क्यों इस से मिलने का दिल कर रहा है ,कहीं कुछ मुझे हो गया तो उस से मिलने की इच्छा रह जायेगी ,*"!!
किशोर कहता है ,*" तुम अब बकवास बंद करो , मैं अभी उसे खोजने जा रहा हूं , कही तो उसका पता चलेगा ,एक क्लू तो मिला है ,उसने एक साल पहले ही नेहरू नगर में कही फ्लैट लिया है , मैं जाकर खोज लूंगा , उसे तो सभी जानते ही होंगे ,वह छुपकर तो रह जी नही सकता बिना लोगो से बात किए तो उसका खाना नही पचता,*"!!

किशोर संतोष के फ्लैट के सामने खड़ा था ,वहां पता चलता है की अभी कल ही उसने इस फ्लैट को बेचा है ,और यहां से कहीं और शिफ्ट हुआ ,*"!!

किशोर उसे खोजते हुए उसके नए घर के पास पहुंचता है तो पता चलता है ,उसने एक कमरे का रूम भाड़े पर लिया था ,जबकि पहले वह वन बीएचके में रह रहा था ,!!

वहां पर उसे एक पुराना परिचित मिलता है वह किशोर को देख कहता है, *" क्या किशोर तु यहां क्या  कर रहा है,अरे हम शायद संतोष से मिलने आया है ,वह तो कल ही यहां शिफ्ट हुआ आज अपनी फैमली को गांव छोड़ने गया है ,तीन चार दिन में आएगा , *"!!
किशोर उस से संतोष का नंबर लेता है , और ट्राई करता है तो फोन नही लगता है ,तो वह कहता है ,*" रमेश अगर वह मिले तो मेरा नंबर देकर अर्जेंट कॉल करने को कहता है ,*"!!

वह आकर ज्योति से कहता है *" संतोष का पता तो चल गया पर वह आज सुबह ही गांव गया है ,अब तो ऑपरेशन के बाद ही मिलेगा , कोई बात नही काम से कम तुम उस से माफी मांगने के लिए तो ठीक होकर आओगी,*"!! 

पांच दिन बाद ज्योति को इंडिया लाया जाता है उसका ऑपरेशन सक्सेस होता है , किशोर एयरपोर्ट से ही संतोष को कॉल करता है, तो वह उठाता है ,किशोर कांपती आवाज़ से कहता है ,*" संतोष मैं बोल रहा हूं दोस्त को माफ नही कर सकता है ,ज्योति अभी अभी मरते मरते बची है ,वह तुझ से मिलना चाहती है , तू सब कुछ भूलकर एक बार आ जा हमसे बहुत बड़ी भूल हुई ,*"!!
संतोष सिर्फ इतना कहता है *" उसी हॉस्पिटल में हो ,*"!!
किशोर कहता है ,*" हां ,!!
संतोष फोन काटता है ,अचानक किशोर को झटका लगता है ,*"उसने तो हॉस्पिटल का नाम तो बताया नही था तो उसे कैसे मालूम , *"!!
डॉक्टर  उसके साथ ही थे तो वह उस से पूछता है , *" डॉक्टर साहब आप सच बताइए ज्योति के ऑपरेशन के पैसे संतोष कुमार ने दिए थे ,*"!!??
डॉक्टर उसकी ओर देख हां में सर हिलाते हैं,*"!!
किशोर एकदम से शॉक्ड हो जाता है की संतोष को कैसे पता चला और उसने अपना घर बेचकर उसके लिए पैसे अरेंज किए थे , !!
तब तक वह हॉस्पिटल पहुंच गए थे , एंबुलेंस से उतारकर ज्योति को आईसीयू में ले जाते हैं दो दिन के लिए, बाद में  उसे  वहां से नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट करने वाले थे , किशोर जैसे ही बाहर आता है , सामने से संतोष आता हुआ दिखाई देता है ,तो वह भागकर उसके गले लगकर रोने लगता है , किशोर उस से यह नही बताता है कि उसे सब पता है , !!
आज ज्योति घर आने वाली थी  संतोष और  किशोर  साथ में थे , संतोष मिठाई लेकर आया था , ज्योति नई जिंदगी लेकर आई थी ,,,!!!

संतोष कहता  है ,*" चल भाई मैं अभी जा रहा हूं एक घंटे में आता हूं ,*"!!
किशोर कहता है ,,*एक मिनट जरा रूक ,*"!!!
किशोर उसको एक  चाभी देता है ,तो संतोष उसे देखता है  ,किशोर कहता है ,*" तु खुद को बड़ा दानवीर समझता है , तु हमारे लिए अपना फ्लैट बेच सकता है , तो हम लेकर दे भी सकते हैं ,  मेरे भाई तूने तो हमे खरीद लिया आज ये तेरी वजह से जिंदा है , *"!!
ज्योति यह सुन चौकती है और पूछती है ,*" किशोर मैं समझी नहीं ,!!?
किशोर कहता है ,*" इसे घनश्याम ने बताया की तुम एडमिट हो तो इसने हमारा पता निकाल कर हॉस्पिटल आया और यहां से सब पूछताछ कर अपना फ्लैट बेचकर तुम्हारे इलाज के लिए पैसा जमा किया और डॉक्टर से बताने के लिए मना किया ,वह तो जब इसको ढूढने में गया था तो पता चला की इसने फ्लैट दो दिन पहले ही बेचा था ,और जब एयरपोर्ट से मैने इसे कॉल किया तो इसने कहां उसी हॉस्पिटल में ही तो मुझे शक हुआ और फिर मुझे दूसरे दिन घनश्याम भी मिल जाता तो सारी बाते क्लियर हो गई , *"!!
वह संतोष को गले लगाकर रोने लगता है, ज्योति कहती है ,तुम दोनो ये भी नही सोच रहे हो की अभी मेरा ऑपरेशन हुआ है ,और मुझे भी रुला रहे हों,*"!!
किशोर और संतोष दोनो ही ज्योति के आंसु पोछते हैं ,और तीनो ही गले लगते हैं,*"!!

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संतोष और किशोर बचपन के मित्र थे या यूं कहें कि दो जिस्म एक जान थे पर एक लड़की के कारण उनका आपस में बिखराव हो जाता है ,*!!

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