दर्दीले पल --------------ये दर्द मुझे जीने नहीं देता, ना हसने देता ना ही रोने देता।बस एक खामोश मंज़र है चारों तरफ,ना जाने क्यूँ मुझे अंधेरा देता ?तन्हाइयों
पल पल दरकता रहा रिश्ताफ़ासले ऐसे भी होंगेये कभी सोचा भी न थाफासले मिटाने की कोशिशना तुमने की ना हमने कीफासला अब भी दो क़दमों का ही हैलेकिन "अश्विनी" ये कैसे फासले हैजो बढ़ने से कम ना हुए-अश्विनी कुमार मिश्रा
भूमिका:-प्रस्तुत कविता में जीवन के विभिन्न रूपों व पारिस्थितियों को, समय के माध्यम से समेटने की कोशिश रही है। साथ ही पाठक को यह दर्शाने का प्रयासहै कि नकारात्मक हालात जीवन का ही अंग हैं,अतः इनसे चिंतित न हो। अंत तक मानसिकता कोसकारात्मक बनाए रखने की कोशिश ही एक दिन सफलता दिलाएगी।हर पल, हलचलVIMAL KISH
सोने के पीछे सोना भुला दिया, खजाना भूल के खजाना लुटा दिया | दौलत के खजाने के पीछे , दिल का खजाना भुला दिया | जान गए मन की तेरी, तू औरों के दिल मे बसी | तू है पराये दिल की चिड़िया, समझे नहीं मेरे दिल के कभी|| जिस-जिस को धोखा मिला, सोचले वह अब मुझे जीने का मौका
हम सभी दैनिक आधार पर तनाव से निपटते हैं - चाहे वह काम में व्यस्त और अभिभूत होने का तनाव हो, व्यक्तिगत संकटों, यातायात, रिश्तों, स्वास्थ्य, वित्त से निपटने के लिए ... तनाव हमारे जीवन का एक बड़ा हिस्सा हो सकता है।और तनाव के कुछ मजबूत प्रभाव हैं: यह हमारे रिश्तों को कम ख
जब में ये लिख रहा हु, मेरी एक बहस हुई है, दिन की सुरुवात में, नींद की कठिनाइय, जीवन में बदलाव, एक कार्यभार जो बहुत अधिक है।जैसा कि आप कल्पना कर सकते हैं, इस सब को तनावपूर्ण, कष्टप्रद, कठिन और बस आम तौर पर चूसने जैसा देखने का एक तरीका है। मैं इसे इस तरह से बिल्कुल नहीं देखता, लेकिन उस मानसिकता में उत