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दर्दीले पल

30 अप्रैल 2022

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दर्दीले पल
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ये दर्द मुझे जीने नहीं देता, 
ना हसने देता ना ही रोने देता।
बस एक खामोश मंज़र है चारों तरफ,
ना जाने क्यूँ मुझे अंधेरा देता ?

तन्हाइयों से कर ली मैने दोस्ती,
नफरत दिल में पल रही।
चाहती हूँ भूल जाऊँ दुनिया को,
ये वक्त मुझे कुछ भूलने नहीं देता।

क्या करूँ किस से कहूँ ?
बात अपने दिल की।
अंधेरो में अंधेरा दिख रहा है मुझे,
अब तो कोई दिया भी रौशनी नहीं देता।

उदास हूँ हर वक्त, 
हसी गायब हो गई चेहरे से।
कहाँ से लाऊँ जीने के लिए ताकत,
कोई रास्ता दिखाई नहीं देता।

कोई तो होगा दुनिया में 
जो समझेगा दर्द मेरा।
वरना यहाँ तो शाहाना
कोई किसी को सहारा नहीं देता।

शाहाना परवीन...✍️
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रचनाएँ
कुछ ख्वाहिश अधूरी सी
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मेरी कलम से... मेरे मन के शब्दों की भाषा सुनने दो मेरे मन को। शब्दों को करने दो बात आपस में, उन्हें खुलकर जीने दो। सुनो ध्यान से ,क्या कहते हैं शब्द? दिल की गहराईयों में जाकर, चुपके से सबको अपना बनाते ये शब्द। अहसासो का आँचल थामें धीरे से आगे बढ़ते हैं। तन्हाईयों को फिर गले लगाते, सबसे सगी होते ये शब्द।। सभी सुधी पाठक गण को मेरा स्नेहिल नमस्कार.... मन के भावों को व्यक्त करने का सबसे अच्छा माध्यम लेखन है। मुझे बचपन से ही कहानियाँ , बाल कथाएँ, लेख, आलेख, कविताएँ , पत्र-पत्रिकाएँ आदि पढ़ने में रुचि थी। मेरी इस रूचि को लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ाया मेरे पिताजी ने। जो स्वयं भी लिखने में रूचि रखते थे पर वह कोई कवि या लेखक नहीं थे। कहते हैं कि यदि आप अपनी किसी रूचि को पूरा करने की इच्छा रखते हैं तो उचित मार्ग दर्शन से आप अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं। मेरे पिताजी के कारण ही आज मैं अपने हसीन ख्वाब को पूरा करने में कामयाब हो पाई हूँ। "पिता के शब्द आज शाहाना की हर रचना में शाहाना के साथ रहते हैं, पिता जी पास नहीं आज पर शाहाना की हर रचना में वह महसूस होते हैं।।" मेरे पिता जी के आशीर्वाद व प्रेरणा से ही यह संभव हो पाया है कि मैं अपने कई संकलन लिख पाई हूँ। "कुछ ख्वाहिश अधूरी सी" काव्य संग्रह आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे अपार सुख की अनुभूति हो रही है। इस काव्य संग्रह में मैनें जीवन के विभिन्न पक्षों को उकेरने का प्रयास किया है। मैनें हर विषय पर लिखने का प्रयास किया है। जो विषय हमारे इर्दगिर्द घूमते हैं, हमारे जीवन से सम्बंध रखते हैं उन्हीं पर लिखने की एक छोटी सी कोशिश का नाम है "कुछ ख्वाहिश अधूरी सी"। इस संग्रह के लिए मैं अपने परिवार, साहित्यिक मित्रों को धन्यवाद कहना चाहूगीं जिन्होनें इस काव्य को लिखने के लिए मुझे प्रेरित किया और सहयोग दिया। मैं आभार व्यक्त करना चाहूगीं शब्द.इन का , जिन्होनें मेरे अंदर हौंसला उत्पन्न किया जिससे मैं अपने काव्य संग्रह को शब्द.इन पर प्रकाशित कर पाई। आप सबका सहयोग व स्नेह बना रहे आपका कोटि कोटि धन्यवाद शाहाना परवीन...✍️ मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)
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कुछ ख्वाहिश अधूरी सी

27 अप्रैल 2022
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कुछ ख्वाहिशें अधूरी सी.....पा लेना चाहती थी जिसेसमेट लेना चाहती थी दुनिया कोअपने आँचल मेंपर क्या पूरी हो पाई ख्वाहिश?शायद नहीं...क्योकिं ख्वाहिश कोई आम चीज़ नही है जो आसानी से मिल जाए।ख्वाहिश वो ह

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मैने दिल से कहा

30 अप्रैल 2022
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मैने दिल से कहामैने दिल से कहा वो जो ना कहना था मुझेमैने चाहा उसे जिसने ना चाहा कभी मुझे।करती रही इंतज़ार उसका पर ना आया वो,मिला ना चैन ना ही आराम कहीं भी मुझे।क्यों क्हूँ ऐसा कि किस्मत अपनी खराब है,बी

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ये ख्वाहिशें

30 अप्रैल 2022
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ये ख्वाहिशेंपा लेना चाहती थी जिसेसमेट लेना चाहती थी दुनिया कोअपने आँचल मेंपर क्या पूरी हो पाई ख्वाहिश?शायद नहीं...क्योकिं ख्वाहिश कोई आम चीज़ नही है जो आसानी से मिल जाए।ख्वाहिश वो है जोहर किसी से

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बर्फ से अहसास

30 अप्रैल 2022
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बर्फ से अहसासआज बदल गए रिश्ते सभी बर्फ सा अहसास समाया है।बदल गया सारा ज़माना,अपना नहीं कोई जग पराया है।बर्फ से अहसासों से बनी दुनिया,किसी का दर्द नहीं समझता कोई ।फासले बढ़ गए बीच लोगों के,अपना नहीं

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अजीब किस्सा है ज़िंदगी

30 अप्रैल 2022
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अजीब किस्सा है ज़िंदगी अजीब किस्सा है ज़िंदगी,ना जाने किसका हिस्सा है ज़िंदगी?हमेशा नहीं रहती साथ फिर भी सभी की आरज़ू है ज़िंदगी। अजीब किस्सा है ज़िंदगी।खोने को नहीं कुछ बाक़ीजो है पास वह भी च

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अब अगर आओ तो

30 अप्रैल 2022
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अब अगर आओ तोमिले हो मुश्किल से हमें तुम भुला ना देना।अब अगर आओ तो जाने का नाम ना लेना।इश्क करना नहीं आसान किसी के लिए,इश्क में डूबे तो दिल तोड़ने की बात ना करना।अब अगर आओ तो जाने का नाम ना लेना।मेरी मो

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जाते हुए लोग

30 अप्रैल 2022
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जाते हुए लोगक्यूँ इस कदर रुलाते हैं ?ये जाते हुए लोग ।बनाकर अपना क्यूँ छोड़ जाते हैं?ये जाते हुए लोग ।अगर बिछड़ना ही है इनको मिलते हैं क्यूँ?आँखो में देकर पानी तड़पाते हैंये जाते हुए लोग ।बेचैन कर द

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आस

30 अप्रैल 2022
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आस तोहमत लगाकर मुझ पर,गुफ्तगूं की आस करते हो।मेरे होते हुए तसव्वुर किसी और कामुझसे नज़ाकत की आस करते हो।तवज्जो नहीं दी कभी मेरी बात पर,खाते रहे कसमें झूठी मेरी जान की।बेवफा हो गए तुम मुझसे वफ

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दर्द की ताकत

30 अप्रैल 2022
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दर्द की ताकत दर्द करते रहो बरदाश्त जब तक हो तुमसे,एक दिन यही दर्द ताकत बन जायेगा।ज़ीस्त को करने दो मनमानी जितनी भी,एक दिन अहद तुम से दोस्ती कर जायेगा।नाज़ुक बनकर ना जीओ चलो कांटो पर,एक दिन इन्हीं क

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हिसाब

30 अप्रैल 2022
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हिसाब यहाँ हिसाब हर चीज़.का देना पड़ता है,दुख दोगे किसी को वो फिर लेना भी पड़ता है।लौटकर आता हिसाब यहाँ चाहे कर लो कुछ,आँसू देकर दूसरो को अपनी आँखो में भी आँसू भरना पड़ना है। यहाँ हिसाब हर चीज क

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छोटी सी ज़िंदगी

30 अप्रैल 2022
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छोटी सी जिंदगीछोटी सी है यह ज़िंदगी ,अजीब किस्सा है ज़िंदगी,समझो तो बहुत कुछ,ना समझो तो बोझ है ज़िंदगी।हमेशा नहीं रहती साथ फिर भी,सभी की आरज़ू है ज़िंदगी।अजीब किस्सा है ज़िंदगी।समझो तो बहुत कुछ,छोटी सी है य

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यकीन तो दिलाओ

30 अप्रैल 2022
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यकीन तो दिलाओअपने होने का मुझे यकीन तो दिलाओतुम हो गर मेरे ज़रा पास तो आओक्यूँ जा रहे हो हाथ छुड़ाकर मुझसेकरते ह़ो इश्क तो यूँ ना शरमाओ।अपने होने का मुझे यकीन तो दिलाओ।।तवज्जो दी नहीं कभी आज जाने क्या ह

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30 अप्रैल 2022
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मुकाम मुकाम बनाऊँ मैं कैसे ?तुम साथ नहीं हो।तलब नहीं अब कोई तुम्हारे सिवातुम पास नहीं हो।कैसे करूँ इशारे? मूकाम बनाऊँ मैं कैसे?मुख्तलिफ ख्याल आते हैं मन में,दिल को बेचैन कर जाते हैंकोशिश करत

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किसी और के

30 अप्रैल 2022
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किसी और केगलती ऐसी क्या हुई ?जो नफरत कर बैठे,कल तक थे जो मेरे, आज किसी और के हो बैठे।खामोश ज़ुबा आज आपकी,लगता नहीं कि वो ही हो ।ऐसी क्या हुई हमसे ख़ता?आज किसी और के हो बैठे।मोहब्बत नहीं आसान ,जानते

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कभी यूँ भी तो

30 अप्रैल 2022
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कभी यूँ भी तो------------------कभी यूँ भी तो बेमतलब मुस्कुरा लिया कीजियेक्या पता कल ये समां रंगीन हो या ना हो?कभी यूँ भी तो मेरी गली कदम बढ़ा लिया कीजिए।क्या पता कल फिरहम यहाँ हों या ना

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रेत पर लिखा दर्द

30 अप्रैल 2022
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रेत पर लिखा दर्द रेत पर लिखा दर्द माना दिखाई नहीं देता परजब दर्द देता है तोशरीर को झंझोड़कर रख देता है।।रेत पर लिखा दर्द माना बोल नहीं सकता परजब बोलता है तो सभी के बोल बंद कर देता ह

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यादों का भंवर

30 अप्रैल 2022
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यादों का भंवरयादें हमेशा हमारे साथ रहती है....जब तक हम जीते हैं यादे भी जीती हैं हमारे साथ।कुछ खट्टे कुछ मीठे अनुभवो से सजी ये यादें ....संग संग चलती हमारे साथ।यादों का भंवर ना जाने कब

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क्या ज़िंदगी केवल ख्वाहिश है?

30 अप्रैल 2022
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क्या ज़िंदगी केवल ख्वाहिश हैक्या केवल ख्वाहिशों ही से बनी है ज़िदगी....?ख्वाहिशों की चाह मे इंसान कब अपनी ज़िदगी पूरी कर लेता है ....पता ही नहीं चलता....रह जाती हैं पीछे सुनहरी वो यादेंजो टकटकी लगाए

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दर्दीले पल

30 अप्रैल 2022
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दर्दीले पल --------------ये दर्द मुझे जीने नहीं देता, ना हसने देता ना ही रोने देता।बस एक खामोश मंज़र है चारों तरफ,ना जाने क्यूँ मुझे अंधेरा देता ?तन्हाइयों

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ज़िंदगी आहिस्ता चल

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ज़िंदगी आहिस्ता चलज़िंदगी आहिस्ता चलकुछ काम हैं बाकी जोपूरे करने हैं मुझे।ज़िंदगी आहिस्ता चलरिश्ते टूटे हैं जोवो जोड़ने हैं मुझे।ज़िंदगी आहिस्ता चलदुख के बादल छाए जोउन्हें छटाना है मुझे।ज़िंदगी आहिस्ता चलकु

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कुछ कमी सी है

30 अप्रैल 2022
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कुछ कमी सी हैमुकम्मल ना समझो ज़िंदगी कुछ कमी सी हैजज़बातो में लिपटें अहसास कुछ कमी सी है।दिल की बात जान सकता सिर्फ दिल ही,दिल में बसी जो आस कुछ कमी सी है।ये ख्वाब और साथ अपनो के खड़े होने का,खूशबू बिखरी

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आज़ादी का अमृत महोत्सव

4 अगस्त 2022
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