3 जुलाई 2016
"ये भूख-प्यास-तलब जिसकी है मेहरबानी,
उसी का काम है सब को मिले दाना-पानी ....."
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"पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो,आँसू छिपाते हो फेर कर नज़रें,इतना फीका मुस्कुराया न करो, पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो!!हिदायत से घर भर की लाइट्स बुझाते,सोंच कर भी न कितने सामान खरीदते,गाड़ी का माइलेज चेक करते रहते,मेरे हाथ में ए टी एम थमाया न करो... पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो।पानी की बॉटल
ए खुदा मौसम को इतना रोमांटिक भी ना करकुछ लोग ऐसे भी है जिनका महबूब नहीं...
फ़िज़ा महसूस करवाती कि जैसे अब यहाँ तुम हो,मगर सबसे निराली है जगह वो ही जहाँ तुम हो,यकीं होता नहीं मुझको मिलन को इक बरस बीताजुलाई आ गई फिर से कहो अब गुम कहाँ तुम हो ?
"ये भूख-प्यास-तलब जिसकी है मेहरबानी,उसी का काम है सब को मिले दाना-पानी ....."