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कविता

7 जून 2016

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"पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो,

आँसू छिपाते हो फेर कर नज़रें,

इतना फीका मुस्कुराया न करो, 

पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो!!


हिदायत से घर भर की लाइट्स बुझाते,
सोंच कर भी न कितने सामान खरीदते,
गाड़ी का माइलेज चेक करते रहते,
मेरे हाथ में ए टी एम थमाया न करो... 

पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो।


पानी की बॉटल रखी या नहीं,
टिकट कहीं भूली तो नहीं,
पर्स में खुले पैसे रखे या नहीं,
इतना नम प्यार जताया न करो, 
पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो।


सीट के नीचे बैग जमाते,
ध्यान रखना अकेला जा रहे,
साथ की किसी सहयात्री को बताते,
पल पल इतनी चिंता जताया न करो..

 पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो।


पहुँचते ही कर देना फोन,
अब कब होगा आना फिर तुम्हारा,
रग रग कर देते हो तन्हा,
उदासी से सर पर हाथ फिराया न करो..

 पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो।


मैं खामोश रीती हो जाता,
जी भर ऐसे गले लगाया न करो,
दूर तक देखता रह जाता हूँ बिखर कर,
ग़मगीन खड़े यूं हाथ हिलाया न करो,

 पापा, मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो।


चप्पा चप्पा कर देते हो वीरान ,
रुन्धा गला बातो में छिपाया न करो,
मेरा आगा पीछा सोंच सोंच, 
अपना कलेजा दुखाया न करो, 
पापा, मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो ।


फ़ोन पे बात न सूझती आपको,
लो अपनी माँ से बात करो,
बाद में पूछते उनसे ब्यौरा सारा, 
हमारे नाम पाई पाई के कागज़ बनवाया न करो,
पापा, आप मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो!!!!!
🎆🎇🎆🎇🎆🎇🎆🎇🎆🎇🎆🎇🎆




वैशाली

वैशाली

शानदार

7 जून 2016

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कविता

7 जून 2016
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"पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो,आँसू छिपाते हो फेर कर नज़रें,इतना फीका मुस्कुराया न करो, पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो!!हिदायत से घर भर की लाइट्स बुझाते,सोंच कर भी न कितने सामान खरीदते,गाड़ी का माइलेज चेक करते रहते,मेरे हाथ में ए टी एम थमाया न करो... पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो।पानी की बॉटल

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मेघ

2 जुलाई 2016
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ए खुदा मौसम को इतना रोमांटिक भी ना करकुछ लोग ऐसे भी है जिनका महबूब नहीं...

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फ़िज़ा महसूस कराती है

2 जुलाई 2016
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फ़िज़ा महसूस करवाती कि जैसे अब यहाँ तुम हो,मगर सबसे निराली है जगह वो ही जहाँ तुम हो,यकीं होता नहीं मुझको मिलन को इक बरस बीताजुलाई आ गई फिर से कहो अब गुम कहाँ तुम हो ?

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बस पानी

3 जुलाई 2016
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"ये भूख-प्यास-तलब जिसकी है मेहरबानी,उसी का काम है सब को मिले दाना-पानी ....."

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