वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमां हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल मे है
वक्त है स्वराज का देश भक्ति कविताएँ
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खुश रहना माँलाल तेरे इस धरा परजन्म लेके आये हैइश्क़ नहीं माँ इंकलाब केगीत हमने गाये हैसौ सिंह के बलिदानों नेस्वाधीनता का रथ खिंचा हैक्रांतिवीर के रक्त ने माँइस धरा को सींचा हैं।इस धरा की गोद मे माँतलवा
कर बिजलियों सी गर्जनारुद्र देव अर्चना अंधकार पर विजयकर मातृभू की आरतीमाँ भारती पुकारती।१।सूर्य का प्रताप तूधरती और विष्णुपदसप्त जलधाम भीहै हिन्द की विशालतामाँ भारती पुकारती।२।सम्राट है अनंत कामृग
हिमालय की चोटी में कैलाश वन्देमातरमहिन्द पारावार की लहर वन्देमातरमहै उड़ रहा आकाश में तूफान वंदेमातरमवीरता के रग में रक्त उफ़ान वन्देमातरमसर कटे धड़ लड़ रहे हुंकार वन्देमातरमहै लहू लुहान जो तलवार वन्देमात
गंगा यमुना को माँ कहते होजीवन पावन करने कोफेंक आते हो कूड़ा कचरापानी गंदा करने कोनदिया सारी गंदी करकर तुमको लाज नहीं आतीसाफ करो' माँ चिक रहीक्या वो आवाज नहीं आतीउगता सूरज भी बोलेक्या दशा तुम्हारी
है मेघ बरसने वालेअब थोड़ा विश्राम करोरौद्र रूप प्रलेयांकरकारीपुलकित हो आराम करोहै धरा को जल से भरने वालेकैसी प्रलय दिखा डालीकर्ण कर्ण को पत्थर को तुमनेजल में मग्न करा डालीउच्च निकेतन टिके रह गएबस्ती धन
पर्व विजय दशमी का आयासत्य की विजय को लायाकहानी वही त्रेता की हैकथा राम राज्य की हैवनवास चौदह वर्ष का थाअवसर न कोई हर्ष का थावन के भीतर वास राम का सुर्फ़नखा का प्रवास वहाँ थामोहित होकर वह राम परसीत
जो खोना था सब खो चुकेखोकर जीवन हार चुकेअब जीत की तैयारी हैकुछ पाने की बारी हैदौड़ अभी भी जारी हैनंगे पांव हमारे हैकांटे भी लगते जारे हैघाव हुआ गहरा कदमों मेंअब दर्द सहने की बारी हैदौड़ अभी भी जारी हैअंग
गुरु है ईश्वर गुरु है पूजागुरु ही जीवन न कोई दूजागुरु दिवाकर गुरु है चंदागुरु ही विष्णु शंकर ब्रम्हागुरु है ऊर्जा गुरु है भक्तिगुरु ही मेरे मन की शक्तिगुरु है अर्पण गुरु है तर्पणगुरु ही मेरे सच का दर्
गीत सुहाने गाये हिंदी जग रोशन कर जाए हिंदी जीवन को महकाये हिंदी तन मन को हर्षाये हिंदी राष्ट्र प्रेम की भाषा हिंदी भारत विजय पताका हिंदी जय हिंदी का नारा हिंदी भारतवासी भाषा हिंदी माँ भारत का उपहार हि
(1)अधर्मी:-ये काले काल का कलयुग हैअधर्मी धर्म शस्त्र से बोलामें अधर्मी पाप मनुजअंधकार का साया हूँमें अधर्मी तेरे धर्म का नाश करने आया हूँमें अधर्मी दुष्ट हूँ दैत्य हूँ हैवान हूँइस जगत के प्र