(1)अधर्मी:-
ये काले काल का कलयुग है
अधर्मी धर्म शस्त्र से बोला
में अधर्मी पाप मनुज
अंधकार का साया हूँ
में अधर्मी तेरे धर्म का
नाश करने आया हूँ
में अधर्मी दुष्ट हूँ
दैत्य हूँ हैवान हूँ
इस जगत के प्राणियों में
पाप का शैतान हूँ
में भूत हूँ पिसाच हूँ
राक्षस हूँ निशाच हूँ
में क्रूर कंस का दानव हूँ
अहंकार का रावण हूँ
में अधर्मी महाविनाशी हूँ
में तेरे भय का वाशी हूँ
(2)धर्म शस्त्र:-
धर्म शस्त्र ने सुना गौर से
जो अब तक खामोश खड़ा था
तेरी काली हरकतों में
भला तुझसे कौन बड़ा था
कान खोल के सुन अधर्म
में तेरे काल का महाकाल
तू सुन जबाब तेरे सवाल का
में हिसाब देता आया
में धर्म शस्त्र तेरे अधर्म के अंधकार का अंत हूँ
में सूर्य का हूँ प्रताप और मानवों में संत हूँ
में महाकाल का त्रिशूल तेरे कलयुग का हूँ विनाश
में चक्र सुदर्शन कृष्ण का धर्म का हूँ विश्वास
में यमराज हूँ तेरे पिशाच दैत्य दुष्ट हैवान का
में यमराज हूँ तेरे निशाच दानव क्रूर शैतान का
डमरू की टंकार में हूँ कटार
सिंह की दहाड़ शंख की पुकार
में कोदंड हूँ श्री राम
ब्रह्मास्त्र हूँ ब्रह्मांड का
में धर्म शस्त्र महाकाल हूँ
तेरे अधर्मी काल का