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विजय दशमी

24 अगस्त 2022

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पर्व विजय दशमी का आया
सत्य की विजय को लाया

कहानी वही त्रेता की है
कथा राम राज्य की है

वनवास चौदह वर्ष का था
अवसर न कोई हर्ष का था

वन के भीतर वास राम का 
सुर्फ़नखा का प्रवास वहाँ था

मोहित होकर वह राम पर
सीता को मारन चली थी

लक्षमण जी सचेत हो गए
वार कर दिया उसकी नाक पर

वह भरमाई घबराई सी
दौड़ी गई लंका की ओर में

हाल सुनते ही दशानन्द
दहल उठा व चारो ओर से

वह रावण बड़ा ही पापी है
अधर्मी महाविनाशी है

मुख पर उसके रौद्र रूप
भीतर से घमंड उछलता है

वो दशानन्द है राक्षस है
रावण वो अहंकारी है

छल कपट है उसके भीतर
सीता का हरण वो कर लाया

बुद्धि जीव होकर के भी
मूर्खता का परिचय दे आया

मति उसकी क्या मारी गई 
माँ सीता का जो हरण किया

क्या जान उसे प्यारी नही
अंजाम इसका न स्मरण किया

दूत राम के एक से एक
रावण को शांति संदेश दे आये

व दूतो की लाज न रख पाया 
सारे संदेशे ठुकराए

अंगद ने पैर को जमा दिया
हनुमान ने लंका जला दिया

सोने की लंका राख हुई
अहंकार वही पर मिटा दिया

जब काल दुष्ट का आता है
पानी पत्थर तैराता है

पाप अधर्म मिटाने को 
शस्त्र उठाया जाता है

अब समय विजय का निकट आ गया
सभी दुष्टों पर काल छा गया

अश्विन माह की शुक्ल पक्ष थी
दिवस शुभ दशमी का था

माँ दुर्गा का ले आशीर्वाद
ले आये राम धनुषबाण

वो आदर्शवादी है देव तुल्य
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम

रणभूमि है प्रस्थान किये
महादेव को प्रणाम किये

रावण भी रणभूमि आया
रुद्र देव को शीश नवाया

भक्त दोनों ही शिव शंकर के
एक दूसरे के समक्ष खड़े

एक मर्यादा पुरुषोत्तम राम
है दूसरे को बड़ा अहंकार

हुआ शंखनाद युद्ध का संकेत हुआ
युद्ध छिड़ा घनघोर बड़ा

अब अंत दुष्ट का आया है
रावण बुद्धि से भरमाया है

स्वयं राम से युद्ध करने को
व मूर्ख चला आया है

रावण ने शस्त्र धारण किया 
राम ने भी अब प्रहार किया

एक तीर से दशोंसर भेदा
दूजे से नाभि को छेदा

रावण मुच्छित होकर गिर पड़ा
पहचाना प्रभु को माँगी क्षमा

कहता, है विष्णु रूप है पालनहार
मैं मूर्ख बड़ा हूँ, करो उद्धार

मैं क्या ज्ञानी मेरी भृष्ट बुद्धि
अहंकार का त्याग न कर पाया

मैं तुम्हें न जान सका प्रभु
माँ सीता का हरण भी कर लाया

मैं क्षमा याचना करता हूँ
अब मेरा भी उद्धार करो

अधर्म की लंका जलाकर के
राम राज्य का विस्तार करो

पर्व विजय दशमी का है
मन के रावण को जलाकर के

धर्म का राज्य फैलाना है
राम राज्य को लाकर के



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रचनाएँ
स्वराज काव्य
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वक्त है स्वराज का देश भक्ति कविताएँ
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भारत क्रांति

23 अगस्त 2022
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23 अगस्त 2022
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23 अगस्त 2022
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शान तिरंगा

23 अगस्त 2022
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देश भक्ती है ढोंग दिखावायह सब कहने वालोंनहीं तिरंगा छत पे लगानान dp पर डालोमान लिया है तुम सच्चे होऔर हम सब झुटे हैलगा तिरंगा हम dp पर ढोंग बहुत करते हैफिर भी अपनी सत्य कथा काएक प्रमाण तुम देनाहर

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लहराये जा परचम

23 अगस्त 2022
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क्यों हार के बैठे होतुम अपनी ही कश्ती मेंयह दुब रही है क्याया छिद्र हुआ इसमेसंकटो के बादल सेक्या दिशा भटकती हैभटकते मन से क्या कभी नौका चलती हैसागरों के सागर कोकभी सुखते देखा हैपर्वतों से अम्बर क

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भारत माता की जय जयकार

23 अगस्त 2022
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चाहो तो कैलाश हमारान चाहने पर पत्थर भी छुटेचाहो तो सागर पर काबून चाहने पर मटका भी फूटेचाहो तो अम्बर पर शासनन चाहने पर धरती भी छूटेचाहो तो हमसे भयभीत होकाल के प्राण भी छूटेचाहो तो जीवन की धाराचाहो तो भ

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चमकौर का युद्ध

23 अगस्त 2022
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23 अगस्त 2022
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इन हाथो में तलवार थमा दो लाकर तीर कमान थमा दो और थमा दो चक्र सुदर्शन भगवा विजय निशान थमा दो भारत का संविधान सुना दो पुस्तक वेद पुराण सुना दो हल्दी घाटी मैदान सुना दो पृथ्वी राणा का राग सुना दो सागर भू

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तीर चले और वीर चले

23 अगस्त 2022
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तीर चले और वीर चलेफूलो से सारे शूल टलेजब वीरो की शमशीर चले देख नाग गले शत्रु न छलेजब आग जमे और नीर जलेऔर काल डरे जब रात ढलेगर्जन कर करके धीर चलेमाता पर जान लुटाने को जीवन को धन्य बनाने को&nb

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राग देश

23 अगस्त 2022
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(1)अधर्मी:-ये काले काल का कलयुग हैअधर्मी धर्म शस्त्र से बोलामें अधर्मी पाप मनुजअंधकार का साया हूँमें अधर्मी तेरे धर्म का नाश करने आया हूँमें अधर्मी दुष्ट हूँ दैत्य हूँ हैवान हूँइस जगत के प्र

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24 अगस्त 2022
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गीत सुहाने गाये हिंदी जग रोशन कर जाए हिंदी जीवन को महकाये हिंदी तन मन को हर्षाये हिंदी राष्ट्र प्रेम की भाषा हिंदी भारत विजय पताका हिंदी जय हिंदी का नारा हिंदी भारतवासी भाषा हिंदी माँ भारत का उपहार हि

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गुरु

24 अगस्त 2022
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गुरु है ईश्वर गुरु है पूजागुरु ही जीवन न कोई दूजागुरु दिवाकर गुरु है चंदागुरु ही विष्णु शंकर ब्रम्हागुरु है ऊर्जा गुरु है भक्तिगुरु ही मेरे मन की शक्तिगुरु है अर्पण गुरु है तर्पणगुरु ही मेरे सच का दर्

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दौड़ अभी भी जारी है

24 अगस्त 2022
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जो खोना था सब खो चुकेखोकर जीवन हार चुकेअब जीत की तैयारी हैकुछ पाने की बारी हैदौड़ अभी भी जारी हैनंगे पांव हमारे हैकांटे भी लगते जारे हैघाव हुआ गहरा कदमों मेंअब दर्द सहने की बारी हैदौड़ अभी भी जारी हैअंग

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विजय दशमी

24 अगस्त 2022
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पर्व विजय दशमी का आयासत्य की विजय को लायाकहानी वही त्रेता की हैकथा राम राज्य की हैवनवास चौदह वर्ष का थाअवसर न कोई हर्ष का थावन के भीतर वास राम का सुर्फ़नखा का प्रवास वहाँ थामोहित होकर वह राम परसीत

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है मेघ बरसने वाले

24 अगस्त 2022
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है मेघ बरसने वालेअब थोड़ा विश्राम करोरौद्र रूप प्रलेयांकरकारीपुलकित हो आराम करोहै धरा को जल से भरने वालेकैसी प्रलय दिखा डालीकर्ण कर्ण को पत्थर को तुमनेजल में मग्न करा डालीउच्च निकेतन टिके रह गएबस्ती धन

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नदियाँ गंदी क्यों

24 अगस्त 2022
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गंगा यमुना को माँ कहते होजीवन पावन करने कोफेंक आते हो कूड़ा कचरापानी गंदा करने कोनदिया सारी गंदी करकर तुमको लाज नहीं आतीसाफ करो' माँ चिक रहीक्या वो आवाज नहीं आतीउगता सूरज भी बोलेक्या दशा तुम्हारी

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क्या है वन्देमातरम

24 अगस्त 2022
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हिमालय की चोटी में कैलाश वन्देमातरमहिन्द पारावार की लहर वन्देमातरमहै उड़ रहा आकाश में तूफान वंदेमातरमवीरता के रग में रक्त उफ़ान वन्देमातरमसर कटे धड़ लड़ रहे हुंकार वन्देमातरमहै लहू लुहान जो तलवार वन्देमात

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24 अगस्त 2022
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कर बिजलियों सी गर्जनारुद्र देव अर्चना अंधकार पर विजयकर मातृभू की आरतीमाँ भारती पुकारती।१।सूर्य का प्रताप तूधरती और विष्णुपदसप्त जलधाम भीहै हिन्द की विशालतामाँ भारती पुकारती।२।सम्राट है अनंत कामृग

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खुश रहना माँ

24 अगस्त 2022
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खुश रहना माँलाल तेरे इस धरा परजन्म लेके आये हैइश्क़ नहीं माँ इंकलाब केगीत हमने गाये हैसौ सिंह के बलिदानों नेस्वाधीनता का रथ खिंचा हैक्रांतिवीर के रक्त ने माँइस धरा को सींचा हैं।इस धरा की गोद मे माँतलवा

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