24 अगस्त 2022
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वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमां हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल मे हैD
बिखर गए टुकड़ो में हमगिरे मिले इस मिट्टी मेंजब जंजीरे जकड़ी माँ को थी आज़ादी का साधन न था जात पात में बट गए थेकट गए थे धर्म से अपनेभेद भाव जब बड़ा अधिक थासर पर थी अंग्रेजी सत्ता।ये सत्ता बहुत पु
माँ मेरे कायर मन मेंवीरो सी आग लगा देनामाँ मेरे कायर तन को चिंगारी से सुलगा देनावीरो का में गुणगान करूमाँ सच्चा वीर बना देनामेरी इस कायर बुद्धि मेंमाँ बौद्धिक तेज़ जगा देनाछत्रपति , राणा जैसी&nbs
शंख की पुकार येसिंह सी दहाड़ हैहाथ मे कटार लेथामने नहीं कदमतू सुन जरा तू गा वतन गा तू वन्देमातरम।१।बुद्धि का प्रमाण देभक्ति का प्रमाण देप्रमाण दे तू शक्ति का हम नही कीसी से कम सुन
देश भक्ती है ढोंग दिखावायह सब कहने वालोंनहीं तिरंगा छत पे लगानान dp पर डालोमान लिया है तुम सच्चे होऔर हम सब झुटे हैलगा तिरंगा हम dp पर ढोंग बहुत करते हैफिर भी अपनी सत्य कथा काएक प्रमाण तुम देनाहर
क्यों हार के बैठे होतुम अपनी ही कश्ती मेंयह दुब रही है क्याया छिद्र हुआ इसमेसंकटो के बादल सेक्या दिशा भटकती हैभटकते मन से क्या कभी नौका चलती हैसागरों के सागर कोकभी सुखते देखा हैपर्वतों से अम्बर क
चाहो तो कैलाश हमारान चाहने पर पत्थर भी छुटेचाहो तो सागर पर काबून चाहने पर मटका भी फूटेचाहो तो अम्बर पर शासनन चाहने पर धरती भी छूटेचाहो तो हमसे भयभीत होकाल के प्राण भी छूटेचाहो तो जीवन की धाराचाहो तो भ
चिड़ियों से मैं बाज लड़ावा गीदड़ों को मैं सिंह बनावा सवा लाख से एक लड़ाऊं तबहुँ गोविंद सिंह नाम कबहुं पर्वत जिसके पाव पखाड़े अंधकार भय खाता हो जिसकी चलती कृपाण कृपा करती है रण भूमि जय जय करती है छोड़ के आन
इन हाथो में तलवार थमा दो लाकर तीर कमान थमा दो और थमा दो चक्र सुदर्शन भगवा विजय निशान थमा दो भारत का संविधान सुना दो पुस्तक वेद पुराण सुना दो हल्दी घाटी मैदान सुना दो पृथ्वी राणा का राग सुना दो सागर भू
तीर चले और वीर चलेफूलो से सारे शूल टलेजब वीरो की शमशीर चले देख नाग गले शत्रु न छलेजब आग जमे और नीर जलेऔर काल डरे जब रात ढलेगर्जन कर करके धीर चलेमाता पर जान लुटाने को जीवन को धन्य बनाने को&nb
(1)अधर्मी:-ये काले काल का कलयुग हैअधर्मी धर्म शस्त्र से बोलामें अधर्मी पाप मनुजअंधकार का साया हूँमें अधर्मी तेरे धर्म का नाश करने आया हूँमें अधर्मी दुष्ट हूँ दैत्य हूँ हैवान हूँइस जगत के प्र
गीत सुहाने गाये हिंदी जग रोशन कर जाए हिंदी जीवन को महकाये हिंदी तन मन को हर्षाये हिंदी राष्ट्र प्रेम की भाषा हिंदी भारत विजय पताका हिंदी जय हिंदी का नारा हिंदी भारतवासी भाषा हिंदी माँ भारत का उपहार हि
गुरु है ईश्वर गुरु है पूजागुरु ही जीवन न कोई दूजागुरु दिवाकर गुरु है चंदागुरु ही विष्णु शंकर ब्रम्हागुरु है ऊर्जा गुरु है भक्तिगुरु ही मेरे मन की शक्तिगुरु है अर्पण गुरु है तर्पणगुरु ही मेरे सच का दर्
जो खोना था सब खो चुकेखोकर जीवन हार चुकेअब जीत की तैयारी हैकुछ पाने की बारी हैदौड़ अभी भी जारी हैनंगे पांव हमारे हैकांटे भी लगते जारे हैघाव हुआ गहरा कदमों मेंअब दर्द सहने की बारी हैदौड़ अभी भी जारी हैअंग
पर्व विजय दशमी का आयासत्य की विजय को लायाकहानी वही त्रेता की हैकथा राम राज्य की हैवनवास चौदह वर्ष का थाअवसर न कोई हर्ष का थावन के भीतर वास राम का सुर्फ़नखा का प्रवास वहाँ थामोहित होकर वह राम परसीत
है मेघ बरसने वालेअब थोड़ा विश्राम करोरौद्र रूप प्रलेयांकरकारीपुलकित हो आराम करोहै धरा को जल से भरने वालेकैसी प्रलय दिखा डालीकर्ण कर्ण को पत्थर को तुमनेजल में मग्न करा डालीउच्च निकेतन टिके रह गएबस्ती धन
गंगा यमुना को माँ कहते होजीवन पावन करने कोफेंक आते हो कूड़ा कचरापानी गंदा करने कोनदिया सारी गंदी करकर तुमको लाज नहीं आतीसाफ करो' माँ चिक रहीक्या वो आवाज नहीं आतीउगता सूरज भी बोलेक्या दशा तुम्हारी
हिमालय की चोटी में कैलाश वन्देमातरमहिन्द पारावार की लहर वन्देमातरमहै उड़ रहा आकाश में तूफान वंदेमातरमवीरता के रग में रक्त उफ़ान वन्देमातरमसर कटे धड़ लड़ रहे हुंकार वन्देमातरमहै लहू लुहान जो तलवार वन्देमात
कर बिजलियों सी गर्जनारुद्र देव अर्चना अंधकार पर विजयकर मातृभू की आरतीमाँ भारती पुकारती।१।सूर्य का प्रताप तूधरती और विष्णुपदसप्त जलधाम भीहै हिन्द की विशालतामाँ भारती पुकारती।२।सम्राट है अनंत कामृग
खुश रहना माँलाल तेरे इस धरा परजन्म लेके आये हैइश्क़ नहीं माँ इंकलाब केगीत हमने गाये हैसौ सिंह के बलिदानों नेस्वाधीनता का रथ खिंचा हैक्रांतिवीर के रक्त ने माँइस धरा को सींचा हैं।इस धरा की गोद मे माँतलवा