घंटी बजते ही जा बैठे सब
अपनी - अपनी जगह पर
कोई पेन्सिल छील रहा है
तो कोई शर्ट की बाँह में
कुछ छुपाने की कोशिश
में लगा हुआ है
ना जाने कब मास्टर जी ले आए पर्चा
और थमा दिया कपकपाते हाथों में
डरते डरते देखा तो पता चला
जो पड़ा था वो तो आया ही नहीं.
14 मई 2017
घंटी बजते ही जा बैठे सब
अपनी - अपनी जगह पर
कोई पेन्सिल छील रहा है
तो कोई शर्ट की बाँह में
कुछ छुपाने की कोशिश
में लगा हुआ है
ना जाने कब मास्टर जी ले आए पर्चा
और थमा दिया कपकपाते हाथों में
डरते डरते देखा तो पता चला
जो पड़ा था वो तो आया ही नहीं.