प्रवीण कुमार झा
प्रवीण कुमार झा हिंदी और अंग्रेजी में द्विभाषी लेखक हैं और पेशे से नॉर्वे स्थित सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं। बिहार में पले-बढ़े प्रवीण कुमार ने पूना, दिल्ली और बंगलूरु में मेडिकल की पढ़ाई की। वह एक उत्साही द्विभाषी ब्लॉगर के साथ-साथ डिजिटल और प्रिंट मीडिया में कई लेखों के साथ एक सोशल मीडिया कार्यकर्ता भी हैं। उनकी पहली पुस्तक 'चमनलाल की डायरी' बेस्ट-सेलर रही थी, और उनका यात्रा वृत्तांत 'भूतों के देश में' और 'नास्तिकों के देश में' 2018 में प्रकाशित हुए थे। प्रवीण के लिए पथप्रदर्शक पुस्तक 'कुली लाइन्स' है जिसे वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। , गिरमिटिया श्रम पर एक ऐतिहासिक कथा- इतिहास में सबसे बड़ा प्रवास। प्रवीण ने मैहर के संगीत पर आधारित लघु किंडल किताबें और विज्ञान शिक्षा पर एक कहानी इरोडोव कथा भी लिखी है। उनकी अगली पुस्तक 'वाह उस्ताद' हिंदुस्तानी संगीत (घराना) के स्कूलों पर आधारित है। वेबसाइट : https://vamagandhi.wordpress.com/
कुली लाइन्स
कुली लाइन्स हिन्द महासागर के रियूनियन द्वीप की ओर 1826 ई. में मज़दूरों से भरा जहाज़ बढ़ रहा था। यह शुरुआत थी भारत की। जड़ों से लाखों भारतीयों को अलग करने की। क्या एक विशाल साम्राज्य के लालच और हिन्दुस्तानी बिदेसियों के संघर्ष की यह गाथा भुला दी जायेग
कुली लाइन्स
कुली लाइन्स हिन्द महासागर के रियूनियन द्वीप की ओर 1826 ई. में मज़दूरों से भरा जहाज़ बढ़ रहा था। यह शुरुआत थी भारत की। जड़ों से लाखों भारतीयों को अलग करने की। क्या एक विशाल साम्राज्य के लालच और हिन्दुस्तानी बिदेसियों के संघर्ष की यह गाथा भुला दी जायेग
वाह उस्ताद
ताल गया तो बाल गया सुर गया तो सर गया ऐसी होती है भारतीय शास्त्रीय संगीत के घरानों की परंपरा - जहाँ संगीत के हर एक पहलू पर इतना बारीकी से ध्यान दिया जाता है। वर्षों की कड़ी मेहनत और रियाज़ से ही बन पाता है कोई ऐसा गायक कि जिसे सुनकर श्रोता कह उठते हैं -
वाह उस्ताद
ताल गया तो बाल गया सुर गया तो सर गया ऐसी होती है भारतीय शास्त्रीय संगीत के घरानों की परंपरा - जहाँ संगीत के हर एक पहलू पर इतना बारीकी से ध्यान दिया जाता है। वर्षों की कड़ी मेहनत और रियाज़ से ही बन पाता है कोई ऐसा गायक कि जिसे सुनकर श्रोता कह उठते हैं -
रिनैशाँ - भारतीय नवजागरण का इतिहास
रिनैशाँ अगर यूरोप में हुआ, तो भारत में यह एक सतत प्रक्रिया रही। यह मानना उचित नहीं कि भारत उस समय सो रहा था। अंग्रेजों के आने के बाद कुछ स्थायी बदलाव ज़रूर हुए। एक तरफ़ वह भारतीयों में हीन-भावना दे गए, वहीं दूसरी तरफ़ कुछ ऊँघती सभ्यता को जगाया। भ
रिनैशाँ - भारतीय नवजागरण का इतिहास
रिनैशाँ अगर यूरोप में हुआ, तो भारत में यह एक सतत प्रक्रिया रही। यह मानना उचित नहीं कि भारत उस समय सो रहा था। अंग्रेजों के आने के बाद कुछ स्थायी बदलाव ज़रूर हुए। एक तरफ़ वह भारतीयों में हीन-भावना दे गए, वहीं दूसरी तरफ़ कुछ ऊँघती सभ्यता को जगाया। भ
जे पी - नायक से लोकनायक तक
जयप्रकाश नारायण की कहानी आज़ादी से पूर्व और आज़ादी के बाद लगभग बराबर बँटी है। जे पी को समझना देश को समझने के लिए एक आवश्यक कड़ी है। अगस्त क्रांति के नायक जिनका जीवन एक क्रांतिकारी मार्क्सवादी से गुजरते हुए गांधीवाद और समाजवाद के मध्य लौटता है, औ
जे पी - नायक से लोकनायक तक
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भूतों के देश में - आइसलैंड
दुनिया के एक अजूबे, वीरान और बर्फ़ीले द्वीप की यात्रा जहाँ लेखक वाइकिंगों और ‘गेम ऑफ़ थ्रोन्स’ के किरदारों से गुजरते हुए तांत्रिकों की दुनिया में पहुँच जाते हैं। एक ऐसी आधुनिक पश्चिमी भूमि जहाँ अंधविश्वास और भूत-प्रेत संस्कृति में गुंथी हुई है। भूकंप
भूतों के देश में - आइसलैंड
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रूस, रशिया और रासपूतिन : ज़ारशाही का इतिहास
रूस, रशिया और रासपूतिन : ज़ारशाही का इतिहास - साइबेरिया से बाल्टिक सागर तक फैले दुनिया के सबसे बड़े देश का इतिहास। एक ऐसा इतिहास जिसके बिना आज की जियोपॉलिटिक्स समझनी असम्भव है। यह इतिहास वाइकिंग युग से होते हुए चंगेज़ ख़ान और ज़ारशाही के ऐसे दौर से गु
रूस, रशिया और रासपूतिन : ज़ारशाही का इतिहास
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उल्टी गंगा
अपनी गंभीर पुस्तकों से भिन्न प्रवीण की रुचि व्यंग्य विधा में है। उनके व्यंग्य ‘जानकीपुल’ पर नियमित प्रकाशित होते रहे, जो समाज और राजनीति पर अक्सर असहज प्रश्नों पर होते हैं। ‘उल्टी गंगा’ उनके समस्त व्यंग्य-कथाओं का अनूठा संकलन है।
उल्टी गंगा
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ख़़ुशहाली का पंचनामा
विश्व के सबसे ख़ुशहाल कहे जाने वाले देश नॉर्वे को टटोलते हुए ऐसे सूत्र मिलते हैं जो भारत में पहले से मौजूद हैं। बल्कि मुमकिन है की ये भारत से बह कर गए हों। लेखक ने रोचक डायरी रूप में दोनों देशों के इतिहास से लेकर वर्तमान जीवन शैलियों का आकलन किया है।
ख़़ुशहाली का पंचनामा
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