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रिनैशाँ - भारतीय नवजागरण का इतिहास

प्रवीण कुमार झा

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2 जून 2022 को पूर्ण की गई
ISBN : 9781685237509

रिनैशाँ अगर यूरोप में हुआ, तो भारत में यह एक सतत प्रक्रिया रही। यह मानना उचित नहीं कि भारत उस समय सो रहा था। अंग्रेजों के आने के बाद कुछ स्थायी बदलाव ज़रूर हुए। एक तरफ़ वह भारतीयों में हीन-भावना दे गए, वहीं दूसरी तरफ़ कुछ ऊँघती सभ्यता को जगाया। भारत को यह अहसास हुआ कि उनकी संस्कृति हज़ारों वर्ष पुरानी है, इसका यह अर्थ नहीं कि यह आधुनिक दुनिया से परे है। भारत के पास ऐसे कई सूत्र हैं, जिसने आधुनिक दुनिया के निर्माण में महती भूमिका निभाई है। चाहे कला हो, विज्ञान हो, धर्म हो, संगीत हो, शिक्षा हो, हर क्षेत्र में भारत ने एक सदी के दौरान ऊँचाइयाँ पायी। अक्सर इसे बंगाल रिनैशाँ भी कहा जाता है, लेकिन यह सिर्फ़ बंगाल तक सीमित नहीं था। न ही यह एक धर्म या एक जाति तक सीमित था। यह अखिल भारतीय नवजागरण था।  

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